जीवन की अधिकांश समस्याएं हमारी नकारात्मक सोच के कारण उत्पन्न होती हैं l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपने लेखों व प्रवचनों से हमें जीवन जीने की कला सिखाई है जिसकी आज के संसार में सबसे ज्यादा जरुरत है l स्वर्ग और नरक हमारे ही द्रष्टिकोण में बसते हैं l आचार्य जी की अमृतवाणी में एक घटना का उल्लेख है ----
' आगरा के एक सेठ थे , बहुत संपन्न थे l उन्हें पंद्रह दिनों से नींद आनी बंद हो गई , भयंकर सिरदर्द और आँखें लाल हो गईं थीं l ऐसा लगता था कि दिमाग की नसें फट जाएँगी l किसी ने उन्हें आचार्य जी के पास जाने की सलाह दी l आचार्यजी ने उनसे कहा कि बताइए क्या कारण है ?
सेठजी बोले ---- ' हुआ यह कि इनकम टैक्स ऑफिसर ने छापा मारा l हमारे पास दो बहीखाते थे l मुनीम नाराज हो गया था , उसने ऑफिसर को बता दिया कि इनके पास दो बहीखाते हैं और यह भी बता दिया कि वे कहाँ रखे हैं l इनकम टैक्स ऑफिसर ने दोनों बहीखाते जब्त कर लिए l हमारे ऊपर अपराधी का केस चलाया गया l अभी जमानत पर छूटे हैं l बहुत भय है , आगे न जाने क्या होगा ? " आचार्य जी ने उनसे कहा --- ' आप मेरे पास बैठ जाइए l दवाई मैं आपको कल दूंगा , मैं चाहता हूँ कि आपको इस मुकदमे की जड़ से ही बचा दूँ l '
सेठजी पूछने लगे कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ?
आचार्य जी उन्हें समझाने के लिए उनसे बात करने लगे और कहा कि--- ' आप यह बताइए कि उस असली और नकली बहीखाते में कितने रूपये का चक्कर है ? यदि आपको इनकम टैक्स देना पड़े , पेनल्टी देनी पड़े तो आपको कितने रूपये का नुकसान भुगतना पड़ेगा l '
सेठ ने कहा --- ' दस लाख रुपया , जो हमने तीन - चार वर्षों से चुरा रखा था , एक तो वह और दुगुनी पेनल्टी लगाई जा सकती है l कुल मिलकर तीस लाख रुपया देना पड़ सकता है l '
आचार्य जी ने सहानुभूति प्रकट की -यह तो बड़ी लम्बी रकम है l फिर उससे पूछा कि तुम्हारी चल - अचल सम्पति आदि सब मिलकर कुल कितनी होगी ? '
सेठ ने कहा --- ' लगभग पचास लाख l '
तब आचार्यजी ने समझाया कि--- ' पचास लाख में से तीस लाख चले गए , तब भी बीस लाख तो बचे ( उस समय में ) , मेरे पास तो बीस पैसे भी नहीं हैं l फिर कहा --- आपको तीस लाख जुरमाना हो जाये और आप छूट जाएँ , तब मुझे बुला लेना l आपका जो बचा हुआ सामान है उसे बिकवाकर आपको रकम दिलव दूंगा l बीस लाख का ब्याज बहुत होता है l आप घर बैठे आराम करें l किफ़ायत से इस ब्याज से महीने का खर्च निकाल कर भी पर्याप्त राशी बचेगी l गवर्नमेंट को जो तीस लाख देना पड़ेगा , वह घाटा पंद्रह - सोलह वर्ष में पूरा हो जायेगा l "
आचार्य जी की वाणी में जादू था , सेठ को बात समझ में आ गई l रात भर चैन से सोया l सुबह गुरुदेव ने पूछा -- अब कुछ और इलाज कराना है क्या ? सेठ बोला -- अब तो सब हो गया l आचार्य जी ने कहा --- अब घर जाओ , ईश्वर पर विश्वास रखो , उनका नाम लो l ' उसके बाद घर वालों की चिट्ठी आई कि सेठ जी अब बिलकुल ठीक हैं , रात भर सोते हैं l
' आगरा के एक सेठ थे , बहुत संपन्न थे l उन्हें पंद्रह दिनों से नींद आनी बंद हो गई , भयंकर सिरदर्द और आँखें लाल हो गईं थीं l ऐसा लगता था कि दिमाग की नसें फट जाएँगी l किसी ने उन्हें आचार्य जी के पास जाने की सलाह दी l आचार्यजी ने उनसे कहा कि बताइए क्या कारण है ?
सेठजी बोले ---- ' हुआ यह कि इनकम टैक्स ऑफिसर ने छापा मारा l हमारे पास दो बहीखाते थे l मुनीम नाराज हो गया था , उसने ऑफिसर को बता दिया कि इनके पास दो बहीखाते हैं और यह भी बता दिया कि वे कहाँ रखे हैं l इनकम टैक्स ऑफिसर ने दोनों बहीखाते जब्त कर लिए l हमारे ऊपर अपराधी का केस चलाया गया l अभी जमानत पर छूटे हैं l बहुत भय है , आगे न जाने क्या होगा ? " आचार्य जी ने उनसे कहा --- ' आप मेरे पास बैठ जाइए l दवाई मैं आपको कल दूंगा , मैं चाहता हूँ कि आपको इस मुकदमे की जड़ से ही बचा दूँ l '
सेठजी पूछने लगे कि आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ?
आचार्य जी उन्हें समझाने के लिए उनसे बात करने लगे और कहा कि--- ' आप यह बताइए कि उस असली और नकली बहीखाते में कितने रूपये का चक्कर है ? यदि आपको इनकम टैक्स देना पड़े , पेनल्टी देनी पड़े तो आपको कितने रूपये का नुकसान भुगतना पड़ेगा l '
सेठ ने कहा --- ' दस लाख रुपया , जो हमने तीन - चार वर्षों से चुरा रखा था , एक तो वह और दुगुनी पेनल्टी लगाई जा सकती है l कुल मिलकर तीस लाख रुपया देना पड़ सकता है l '
आचार्य जी ने सहानुभूति प्रकट की -यह तो बड़ी लम्बी रकम है l फिर उससे पूछा कि तुम्हारी चल - अचल सम्पति आदि सब मिलकर कुल कितनी होगी ? '
सेठ ने कहा --- ' लगभग पचास लाख l '
तब आचार्यजी ने समझाया कि--- ' पचास लाख में से तीस लाख चले गए , तब भी बीस लाख तो बचे ( उस समय में ) , मेरे पास तो बीस पैसे भी नहीं हैं l फिर कहा --- आपको तीस लाख जुरमाना हो जाये और आप छूट जाएँ , तब मुझे बुला लेना l आपका जो बचा हुआ सामान है उसे बिकवाकर आपको रकम दिलव दूंगा l बीस लाख का ब्याज बहुत होता है l आप घर बैठे आराम करें l किफ़ायत से इस ब्याज से महीने का खर्च निकाल कर भी पर्याप्त राशी बचेगी l गवर्नमेंट को जो तीस लाख देना पड़ेगा , वह घाटा पंद्रह - सोलह वर्ष में पूरा हो जायेगा l "
आचार्य जी की वाणी में जादू था , सेठ को बात समझ में आ गई l रात भर चैन से सोया l सुबह गुरुदेव ने पूछा -- अब कुछ और इलाज कराना है क्या ? सेठ बोला -- अब तो सब हो गया l आचार्य जी ने कहा --- अब घर जाओ , ईश्वर पर विश्वास रखो , उनका नाम लो l ' उसके बाद घर वालों की चिट्ठी आई कि सेठ जी अब बिलकुल ठीक हैं , रात भर सोते हैं l
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