भाषण , प्रवचन , नियम - कानून आदि बाहरी दबाव से मन को एक सीमित मात्रा में ही काबू में रखा जा सकता है l आत्मसुधार तो ह्रदय परिवर्तन से ही संभव है और यह व्यक्ति को स्वयं ही संयम - साधना के आधार पर करना होता है अर्थात अपनी दुष्प्रवृतियों पर नियंत्रण करने का कार्य व्यक्ति को स्वयं ही करना पड़ता है l
संत एकनाथ के साथ तीर्थयात्रा पर एक चोर भी चल पड़ा l साथ लेने से पूर्व संत ने उससे रास्ते में चोरी न करने की प्रतिज्ञा कराई l यात्रा मंडली को नित्य ही एक परेशानी का सामना करना पड़ता I रात को रखा गया सामान कहीं से कहीं चला जाता l नियत स्थान पर न पाकर सभी हैरान थे और जैसे - तैसे , जहाँ - तहां से ढूंढकर लाते l नित्य की इस परेशानी से तंग आकर , रात को जागकर इस उलट - पुलट की वजह मालूम करने का जिम्मा एक चतुर यात्री ने उठाया , खुरफाती पकड़ा गया l सबेरे उसे संत के सम्मुख पेश किया गया l पूछने पर उसने वास्तविकता कही l चोरी करने की उसकी आदत मजबूत हो गई है l चोरी न करने की यात्रा काल में कसम निभानी पड़ रही है , पर मन नहीं मानता तो तूम्बा - पलटी ( इधर से उधर सामान रख आना ) इससे उसका मन बहल जाता है l संत एकनाथ ने मंडली के साथियों को समझाया कि मन भी एक चोर है , उसे बाहरी दबाव से सीमित मात्रा में ही काबू किया जा सकता है l
संत एकनाथ के साथ तीर्थयात्रा पर एक चोर भी चल पड़ा l साथ लेने से पूर्व संत ने उससे रास्ते में चोरी न करने की प्रतिज्ञा कराई l यात्रा मंडली को नित्य ही एक परेशानी का सामना करना पड़ता I रात को रखा गया सामान कहीं से कहीं चला जाता l नियत स्थान पर न पाकर सभी हैरान थे और जैसे - तैसे , जहाँ - तहां से ढूंढकर लाते l नित्य की इस परेशानी से तंग आकर , रात को जागकर इस उलट - पुलट की वजह मालूम करने का जिम्मा एक चतुर यात्री ने उठाया , खुरफाती पकड़ा गया l सबेरे उसे संत के सम्मुख पेश किया गया l पूछने पर उसने वास्तविकता कही l चोरी करने की उसकी आदत मजबूत हो गई है l चोरी न करने की यात्रा काल में कसम निभानी पड़ रही है , पर मन नहीं मानता तो तूम्बा - पलटी ( इधर से उधर सामान रख आना ) इससे उसका मन बहल जाता है l संत एकनाथ ने मंडली के साथियों को समझाया कि मन भी एक चोर है , उसे बाहरी दबाव से सीमित मात्रा में ही काबू किया जा सकता है l
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