महात्मा गाँधी ने एक बार कहा था --- मेरा विश्वास है कि एक दिन ऐसा आएगा जब सारा संसार शान्ति की खोज में भारत आएगा और भारत तथा एशिया संसार के लिए प्रकाश स्तम्भ की तरह हो जायेंगे l महात्मा गाँधी का दैवी व्यक्तित्व था , अपने अपने विलक्षण आत्मबल से केवल भारत ही नहीं संसार में अनेकों को प्रभावित किया ----
एक यूरोपियन प्रतिनिधि ने उनसे भेंट होने पर बड़े विनीत भाव से कहा था ---- आपसे भेंट होने को हम अपना बड़ा सौभाग्य समझते हैं l आप जब बोलते हैं तो जान पड़ता है कि वे शब्द ' बाइबिल ' में से चले आ रहे हैं l
डॉ . मार्टिन लूथर किंग ने जब गांधीजी के साहित्य तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को पढ़ा तो उनकी द्रष्टि बदल गई l उन्होंने गाँधी जी की तरह अहिंसात्मक प्रतिरोध का आश्रय लिया l उन्हें विश्वास हो गया कि घ्रणा को घ्रणा के द्वारा नहीं मिटाया जा सकता l आध्यात्मिक शक्ति ही मानव - मानव के मध्य गहरी खाई को पाटने वाली है l
महात्मा गाँधी की तरह अपने आपको मानव जाति की सेवा में अर्पित करने वाले और उन्ही नैतिक मूल्यों , सत्य , अहिंसा के पथ पर चलते हुए अपना सारा जीवन अन्याय से संघर्ष करने में खपाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान ' सीमान्त गाँधी ' आज भी भारत और पाकिस्तान के जन मानस में स्थापित हैं l
एक इटालियन राजकुमार -- लांझडिल वास्नो -- 1937 में भारत आये l भारत आकर वे बापू से मिले व हिमालय भी गए l दोनों से प्रेरणा लेकर वे फ्रांस गए और दक्षिण फ्रांस में एक आश्रम स्थापित किया जिसका नाम है ' आर्क कम्युनिटी ' l महात्मा गाँधी के सिद्धांतों -- अहिंसा , अध्यात्म , श्रम और समाज सेवा , विश्व बंधुत्व की भावना की भावना पर आधारित जीवन प्रणाली है l इन्हें फ्रांस का शांति दूत माना जाता है l विनोबा जी ने इस इटालियन राजकुमार का नामकरण ' शान्तिदास ' किया l
रोडेशिया में जन्मे अलबर्ट लुथिली ने जब से होश सम्हाला वे अफ्रीका में काले लोगों की दुर्दशा व अत्याचार से बहुत पीड़ित थे l 1938 में वे अंतर्राष्ट्रीय ईसाई परिषद् में भाग लेने भारत आये l यहाँ वे गाँधी जी से मिले l अब उन्हें इस अत्याचार व अनाचार का व्यापक प्रतिरोध करने का साधन मिल गया वह था ---- अहिंसात्मक आन्दोलन l अहिंसात्मक आन्दोलन केवल राजनीतिक शस्त्र नहीं वरन आत्मिक पवित्रता तथा आत्म बल पाने का साधन है l अन्याय का प्रतिकार करना हर मनुष्य का परम कर्तव्य है l लुथिली को अपनी आत्मा की शक्ति पर विश्वास था l उन्होंने कर्म पथ अपनाया l लोगों को जागरूक किया , अहिंसा पर विश्वास बढ़ने लगा l दासत्व के विरोध में विशाल आन्दोलन खड़ा हो गया ---- l शासन को इस अहिंसा के आन्दोलन के आगे झुकना पड़ा l
1952 में अलबर्ट लुथिली को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया l
आइन्स्टाइन ने कहा था --- " आने वाली पीढ़ियाँ इस बात पर विश्वास नहीं करेंगी कि इस प्रकार का व्यक्ति हाड़ - मांस के पुतले के रूप में पृथ्वी पर विचरण करता था l "
एक यूरोपियन प्रतिनिधि ने उनसे भेंट होने पर बड़े विनीत भाव से कहा था ---- आपसे भेंट होने को हम अपना बड़ा सौभाग्य समझते हैं l आप जब बोलते हैं तो जान पड़ता है कि वे शब्द ' बाइबिल ' में से चले आ रहे हैं l
डॉ . मार्टिन लूथर किंग ने जब गांधीजी के साहित्य तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को पढ़ा तो उनकी द्रष्टि बदल गई l उन्होंने गाँधी जी की तरह अहिंसात्मक प्रतिरोध का आश्रय लिया l उन्हें विश्वास हो गया कि घ्रणा को घ्रणा के द्वारा नहीं मिटाया जा सकता l आध्यात्मिक शक्ति ही मानव - मानव के मध्य गहरी खाई को पाटने वाली है l
महात्मा गाँधी की तरह अपने आपको मानव जाति की सेवा में अर्पित करने वाले और उन्ही नैतिक मूल्यों , सत्य , अहिंसा के पथ पर चलते हुए अपना सारा जीवन अन्याय से संघर्ष करने में खपाने वाले खान अब्दुल गफ्फार खान ' सीमान्त गाँधी ' आज भी भारत और पाकिस्तान के जन मानस में स्थापित हैं l
एक इटालियन राजकुमार -- लांझडिल वास्नो -- 1937 में भारत आये l भारत आकर वे बापू से मिले व हिमालय भी गए l दोनों से प्रेरणा लेकर वे फ्रांस गए और दक्षिण फ्रांस में एक आश्रम स्थापित किया जिसका नाम है ' आर्क कम्युनिटी ' l महात्मा गाँधी के सिद्धांतों -- अहिंसा , अध्यात्म , श्रम और समाज सेवा , विश्व बंधुत्व की भावना की भावना पर आधारित जीवन प्रणाली है l इन्हें फ्रांस का शांति दूत माना जाता है l विनोबा जी ने इस इटालियन राजकुमार का नामकरण ' शान्तिदास ' किया l
रोडेशिया में जन्मे अलबर्ट लुथिली ने जब से होश सम्हाला वे अफ्रीका में काले लोगों की दुर्दशा व अत्याचार से बहुत पीड़ित थे l 1938 में वे अंतर्राष्ट्रीय ईसाई परिषद् में भाग लेने भारत आये l यहाँ वे गाँधी जी से मिले l अब उन्हें इस अत्याचार व अनाचार का व्यापक प्रतिरोध करने का साधन मिल गया वह था ---- अहिंसात्मक आन्दोलन l अहिंसात्मक आन्दोलन केवल राजनीतिक शस्त्र नहीं वरन आत्मिक पवित्रता तथा आत्म बल पाने का साधन है l अन्याय का प्रतिकार करना हर मनुष्य का परम कर्तव्य है l लुथिली को अपनी आत्मा की शक्ति पर विश्वास था l उन्होंने कर्म पथ अपनाया l लोगों को जागरूक किया , अहिंसा पर विश्वास बढ़ने लगा l दासत्व के विरोध में विशाल आन्दोलन खड़ा हो गया ---- l शासन को इस अहिंसा के आन्दोलन के आगे झुकना पड़ा l
1952 में अलबर्ट लुथिली को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया l
आइन्स्टाइन ने कहा था --- " आने वाली पीढ़ियाँ इस बात पर विश्वास नहीं करेंगी कि इस प्रकार का व्यक्ति हाड़ - मांस के पुतले के रूप में पृथ्वी पर विचरण करता था l "
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