हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से कहा ---- " तुम भी मेरी तरह धन - सम्पति अर्जित करो l मैं तुम्हारा पिता हूँ , तुम्हे मेरी हर बात माननी चाहिए l "
प्रह्लाद ने उत्तर दिया ---- " "पिता के नाते आप मुझसे शारीरिक सेवा ले सकते हैं , पर आपकी अनुचित बातों का समर्थन करूँ , यह मुझसे नहीं होगा l " उन्होंने अपार कष्ट सहे , संकट सहे किन्तु अनौचित्य का कभी समर्थन नहीं किया l स्वयं भगवान को आकर प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्य कशिपु का वध किया l
प्रह्लाद ने उत्तर दिया ---- " "पिता के नाते आप मुझसे शारीरिक सेवा ले सकते हैं , पर आपकी अनुचित बातों का समर्थन करूँ , यह मुझसे नहीं होगा l " उन्होंने अपार कष्ट सहे , संकट सहे किन्तु अनौचित्य का कभी समर्थन नहीं किया l स्वयं भगवान को आकर प्रह्लाद की रक्षा के लिए हिरण्य कशिपु का वध किया l
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