बड़प्पन एक मानवीय गुण है l इसका तात्पर्य --- अपने नुकसान एवं हानि को सहर्ष झेलते हुए , कष्ट - कठिनाइयों को सहजता से अपनाते हुए , अपमान को भी सहते हुए , केवल दूसरों का कल्याण सोचना , दूसरों को ख़ुशी एवं प्रसन्नता प्रदान करना l बड़प्पन सत्य का साथ देने में है l बड़प्पन केवल वही प्राप्त कर सकता है , जो वास्तव में बड़ा होता है , आडम्बर व प्रदर्शन नहीं करता l
गाँधी जी ने वकालत प्रारंभ की l उन्होंने केवल सही अधिकारों के लिए ही पैरवी करने का फैसला किया l उनके एक मुवक्किल ने उन्हें अपना गलत पक्ष नहीं बताया , उन्होंने उसका केस ले लिया l बाद में जब पता लगा , तो कोर्ट में उन्होंने बहस नहीं की , तारीख बढ़ गई l कोर्ट से लौटकर उन्होंने उस मुवक्किल को उसकी दी हुई फीस वापस कर दी l
लोगों ने कहा --- आप फीस ले चुके हैं , अब केस वापस मत कीजिए l वकीलों को थोड़ा - बहुत तो इधर - उधर करना ही पड़ता है l गाँधी जी ने कहा ---- " लोग क्या करते हैं , यह मेरा आदर्श नहीं है , मुझे क्या करना चाहिए , वह मुझे अच्छी तरह याद है l मैं परंपरा या धन के लोभ में सिद्धांतों को बट्टा नहीं लगाऊंगा l " उच्च आदर्शों के प्रति इस निष्ठा ने ही उन्हें महात्मा और ' राष्ट्रपिता ' का पद दिलाया l
गाँधी जी ने वकालत प्रारंभ की l उन्होंने केवल सही अधिकारों के लिए ही पैरवी करने का फैसला किया l उनके एक मुवक्किल ने उन्हें अपना गलत पक्ष नहीं बताया , उन्होंने उसका केस ले लिया l बाद में जब पता लगा , तो कोर्ट में उन्होंने बहस नहीं की , तारीख बढ़ गई l कोर्ट से लौटकर उन्होंने उस मुवक्किल को उसकी दी हुई फीस वापस कर दी l
लोगों ने कहा --- आप फीस ले चुके हैं , अब केस वापस मत कीजिए l वकीलों को थोड़ा - बहुत तो इधर - उधर करना ही पड़ता है l गाँधी जी ने कहा ---- " लोग क्या करते हैं , यह मेरा आदर्श नहीं है , मुझे क्या करना चाहिए , वह मुझे अच्छी तरह याद है l मैं परंपरा या धन के लोभ में सिद्धांतों को बट्टा नहीं लगाऊंगा l " उच्च आदर्शों के प्रति इस निष्ठा ने ही उन्हें महात्मा और ' राष्ट्रपिता ' का पद दिलाया l
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