17 March 2020

WISDOM ----- स्वाध्याय और सत्संग दैनिक जीवन का अंग बने --- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

   आचार्य श्री  का  कहना  है --- स्वाध्याय  प्रेरित  करता  है   और  सत्संग  इन  प्रेरणाओं  को  प्रगाढ़  बनता  है  l '  बंगाल  क्रांति  के  नवयुवक   श्रीमदभगवद्गीता   के  स्वाध्याय  से  प्रेरणा  पाते   थे  l  अँगरेज  पुलिस  कप्तान  ने  जब   इन  युवकों  को  पकड़ा  तो  इनके  कमरे  से  दक्षिणेश्वर  की  मिटटी  और  श्रीमदभगवद्गीता   बरामद  हुई  l  ये  युवक  दक्षिणेश्वर  की  मिटटी  से  श्रीरामकृष्ण  परमहंस  के  सत्संग  की  भावनात्मक  अनुभूति  पाते  थे  और  गीता  का  स्वाध्याय  उनमे  ऐसी  अद्भुत  शक्ति  का  संचार  करता  था  कि   सम्पूर्ण  अँगरेज   प्रशासन  दहल  जाता  था  l  महर्षि  अरविन्द  ने  अपने  क्रांति  जीवन  के  इस  प्रसंग  को  याद  करते  हुए  कहा  था  कि ----' अंग्रेजों  ने  दक्षिणेश्वर  की  मिटटी  को  बम   बनाने  का  मसाला  समझा  था  और  भगवद्गीता  को   रसायन  विज्ञान   की  एक  ऐसी  पुस्तक  माना  था  ,  जिसमे  बम   बनाने  की  कई  कारगर  विधियां  हैं  l   इसी  के  चलते   उन्होंने  इस  मिटटी  का   भारत  और  लंदन   सहित  कई  प्रयोगशालाओं  में  परीक्षण  करवाया  था  l  भगवद्गीता  के  बारे  में  भी   इन्होने  कई  विद्वानों  को   निर्देश  दिया  था   कि   वे  इसमें  से   बम  बनाने  के  छिपे  हुए  सूत्रों  को  उजागर  करें  l
  श्री  अरविन्द  का  कहना  था  कि   हम  और  हमारे  सभी क्रांतिकारी  युवा    साथी  अंगरेजों   की  इस  मूर्खता  पर  हँसते  हुए  कहते  थे  कि   इन्हे  क्या  पता  कि  स्वाध्याय  और  सत्संग  से   हम  अपने  व्यक्तित्व  को  ही  महाशक्तिशाली  बम   में  बदल  रहे  हैं  l   

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