पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ----- ' बढ़ती हुई भौतिक और वैज्ञानिक प्रगति के साथ यदि मानवता और अध्यात्मवादिता को नहीं अपनाया गया तो ये दुनिया किसी भी दिन विनष्ट हो सकती है l '
बट्रेंड रसेल ने कहा है ----' मानव जाति अब तक जीवित रह सकी तो अपने अज्ञान और अक्षमता के कारण ही l परन्तु अगर ज्ञान और क्षमता मूर्खता के साथ युक्त हो जाये तो उसके बचे रहने की कोई संभावना नहीं है l '
आधुनिक विज्ञान ने हमारे जीवन को सुख - सुविधा और विलासिता की चीजों से भर दिया और हम उन चीजों के अभ्यस्त हो गए लेकिन इस भौतिक प्रगति ने मनुष्य को संवेदनहीन बना दिया l
प्राचीन समय में हमारे ऋषियों ने जो अविष्कार किये , उसके पीछे उनकी तपस्या और गहन साधना थी l जनकल्याण का भाव था , इसलिए उनका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता था l
अब इस युग में जो वैज्ञानिक अविष्कार हुए और हो रहे हैं उनमे गहन साधना , एकाग्रता , कड़ी मेहनत आदि अनेक गुणों के साथ ' धन ' का प्रवेश हो गया l जो व्यक्ति नई टेक्नोलॉजी और नए आविष्कारों में धन लगाएगा , स्वाभाविक है वह उनसे लाभ भी कमाना चाहेगा l बिना शोषण के धन कमाया नहीं जा सकता , फिर इस धन को जहाँ भी विनियोग किया जायेगा उसके पीछे अधिकाधिक लाभ कमाने की भावना होना निश्चित है l इसी लिए आविष्कारों को व्यवसाय बनाकर अत्यधिक लूटपाट की जा रही है l
धन का प्रवेश जिस भी क्षेत्र में हुआ , वही क्षेत्र व्यवसाय बन गया l सामाजिक जीवन में जो अधिक धनवान है , उसका सम्मान है , चाहे उसने यह धन कितनो को लूटकर , भ्रष्टाचार और अनैतिक तरीकों से जमा किया हो l धन की वजह से राजनीति भी व्यवसाय बन गई है l जो बहुत धन देता है वह अपनी हुकूमत चलाता है l प्रत्यक्ष में कोई कुर्सी पर बैठे , पर चलती उसकी है जिसके पास धन है , कुटिलता है l इस धन ने भगवान के नाम पर होने वाले कल्याण कार्यों को भी दूषित कर दिया l दिखावे को लोग बहुत बड़ा दान करते हैं , फिर उचित मौका देख उससे दस गुना फायदा कमा लेते हैं l संसार में जब कमजोर पर , गरीबों पर बहुत अत्याचार हो तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में धन ने अपनी सत्ता जमा ली है l इनसान के मन को शांति और स्वस्थ शरीर का सुख तभी मिलेगा जब वह जागरूक होगा l सारे संसार को हम नहीं बदल सकते , चारों ओर कांटे हों , उनके बीच साफ़ रास्ता हमें ही बनाना होगा l सरल और सादगीपूर्ण जीवन जी कर , प्रकृति से तालमेल बैठकर हम इस अशांत वातावरण में भी शांति व सुख से रह सकते हैं l
बट्रेंड रसेल ने कहा है ----' मानव जाति अब तक जीवित रह सकी तो अपने अज्ञान और अक्षमता के कारण ही l परन्तु अगर ज्ञान और क्षमता मूर्खता के साथ युक्त हो जाये तो उसके बचे रहने की कोई संभावना नहीं है l '
आधुनिक विज्ञान ने हमारे जीवन को सुख - सुविधा और विलासिता की चीजों से भर दिया और हम उन चीजों के अभ्यस्त हो गए लेकिन इस भौतिक प्रगति ने मनुष्य को संवेदनहीन बना दिया l
प्राचीन समय में हमारे ऋषियों ने जो अविष्कार किये , उसके पीछे उनकी तपस्या और गहन साधना थी l जनकल्याण का भाव था , इसलिए उनका समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता था l
अब इस युग में जो वैज्ञानिक अविष्कार हुए और हो रहे हैं उनमे गहन साधना , एकाग्रता , कड़ी मेहनत आदि अनेक गुणों के साथ ' धन ' का प्रवेश हो गया l जो व्यक्ति नई टेक्नोलॉजी और नए आविष्कारों में धन लगाएगा , स्वाभाविक है वह उनसे लाभ भी कमाना चाहेगा l बिना शोषण के धन कमाया नहीं जा सकता , फिर इस धन को जहाँ भी विनियोग किया जायेगा उसके पीछे अधिकाधिक लाभ कमाने की भावना होना निश्चित है l इसी लिए आविष्कारों को व्यवसाय बनाकर अत्यधिक लूटपाट की जा रही है l
धन का प्रवेश जिस भी क्षेत्र में हुआ , वही क्षेत्र व्यवसाय बन गया l सामाजिक जीवन में जो अधिक धनवान है , उसका सम्मान है , चाहे उसने यह धन कितनो को लूटकर , भ्रष्टाचार और अनैतिक तरीकों से जमा किया हो l धन की वजह से राजनीति भी व्यवसाय बन गई है l जो बहुत धन देता है वह अपनी हुकूमत चलाता है l प्रत्यक्ष में कोई कुर्सी पर बैठे , पर चलती उसकी है जिसके पास धन है , कुटिलता है l इस धन ने भगवान के नाम पर होने वाले कल्याण कार्यों को भी दूषित कर दिया l दिखावे को लोग बहुत बड़ा दान करते हैं , फिर उचित मौका देख उससे दस गुना फायदा कमा लेते हैं l संसार में जब कमजोर पर , गरीबों पर बहुत अत्याचार हो तो उसके पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में धन ने अपनी सत्ता जमा ली है l इनसान के मन को शांति और स्वस्थ शरीर का सुख तभी मिलेगा जब वह जागरूक होगा l सारे संसार को हम नहीं बदल सकते , चारों ओर कांटे हों , उनके बीच साफ़ रास्ता हमें ही बनाना होगा l सरल और सादगीपूर्ण जीवन जी कर , प्रकृति से तालमेल बैठकर हम इस अशांत वातावरण में भी शांति व सुख से रह सकते हैं l
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