मनुष्य भौतिक प्रगति कितनी भी कर ले उसकी प्रवृतियां नहीं बदलती l सबकी प्रवृति अलग - अलग है और विज्ञानं इन प्रवृतियों को एक सुधरे हुए रूप में प्रस्तुत करता है l
संसार का इतिहास हम उठाकर देखें तो यह भीषण आक्रमण और अत्याचार के उदाहरण से भरा पड़ा है l
पहले आततायी आक्रमणकारी विशाल सेना लेकर किसी देश में आक्रमण करने आते थे और भयानक लूटमार और नरसंहार कर के उस देश को रौंदते हुए चले जाते थे l उस देश की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती थी l अब वैज्ञानिक आविष्कारों ने इतनी बड़ी सेना और लाव - लश्कर एक देश से दूसरे देश ले जाने की समस्या को हल्का कर दिया l अब आक्रमणकारी अपने स्थान पर बैठे - बैठे दुनिया के विभिन्न देशों में एक साथ अदृश्य रूप से आक्रमण कर भीषण नरसंहार कर सकता है , वहां की आर्थिक स्थिति को दयनीय बना सकता है और उनकी बरबादी का ठीकरा उन्ही पर फोड़कर , उनकी सहायता कर यश भी ले लेता है l
प्राचीन से आधुनिक होने के इस सफर में यदि कुछ नहीं बदला तो वह है -- मनुष्य का अहंकार , लालच , लूट में अपना हिस्सा लेने की प्रवृति l लोगों की यह प्रवृति ही आक्रमणकारी को मजबूत बनाती है l इन दुष्प्रवृतियों का खामियाजा जन - साधारण भुगतता है ,जिनका कोई कुसूर भी नहीं होता , जो जैसे - तैसे मेहनत , मजदूरी कर अपने परिवार का भरण - पोषण करते हैं l
इसलिए ऋषियों ने कहा है --- विज्ञानं के साथ नैतिकता और संवेदना की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए l
संसार का इतिहास हम उठाकर देखें तो यह भीषण आक्रमण और अत्याचार के उदाहरण से भरा पड़ा है l
पहले आततायी आक्रमणकारी विशाल सेना लेकर किसी देश में आक्रमण करने आते थे और भयानक लूटमार और नरसंहार कर के उस देश को रौंदते हुए चले जाते थे l उस देश की आर्थिक स्थिति दयनीय हो जाती थी l अब वैज्ञानिक आविष्कारों ने इतनी बड़ी सेना और लाव - लश्कर एक देश से दूसरे देश ले जाने की समस्या को हल्का कर दिया l अब आक्रमणकारी अपने स्थान पर बैठे - बैठे दुनिया के विभिन्न देशों में एक साथ अदृश्य रूप से आक्रमण कर भीषण नरसंहार कर सकता है , वहां की आर्थिक स्थिति को दयनीय बना सकता है और उनकी बरबादी का ठीकरा उन्ही पर फोड़कर , उनकी सहायता कर यश भी ले लेता है l
प्राचीन से आधुनिक होने के इस सफर में यदि कुछ नहीं बदला तो वह है -- मनुष्य का अहंकार , लालच , लूट में अपना हिस्सा लेने की प्रवृति l लोगों की यह प्रवृति ही आक्रमणकारी को मजबूत बनाती है l इन दुष्प्रवृतियों का खामियाजा जन - साधारण भुगतता है ,जिनका कोई कुसूर भी नहीं होता , जो जैसे - तैसे मेहनत , मजदूरी कर अपने परिवार का भरण - पोषण करते हैं l
इसलिए ऋषियों ने कहा है --- विज्ञानं के साथ नैतिकता और संवेदना की शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए l
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