हिंसा और अत्याचार को रोकने के लिए निष्क्रिय विरोध , उपेक्षा व उदासीनता से काम नहीं चलता l उसे रोकने के लिए अदम्य साहस और कठोर संघर्ष की आवश्यकता है तभी उसमें सफल हुआ जा सकता है l यदि संगठित रूप से अत्याचार - अन्याय का प्रतिरोध किया जाये तो शक्तिशाली बर्बरता को भी परास्त किया जा सकता है l
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