23 June 2020

WISDOM ------ दुष्ट की भलाई और अनाचारी का संग करने वाले सज्जन पुरुष का भी कल्याण नहीं होता

  हमारे  इतिहास  में  अनेकों  ऐसी  घटनाएं  हैं  जो  हमें  शिक्षा  देती  हैं   कि   शत्रु  का  कभी  विश्वास  नहीं  करे  l   ऐसा  शत्रु  जो  हमें  धोखा  दे   चुका    हो  ,  उस  पर  कभी  विश्वास  नहीं  करे ,  उसे  अपने  घर  में  घुसने  न  दे ,  अन्यथा  वह  कभी  भी  उचित  अवसर  पाकर   अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करेगा  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने   वाङ्मय  ' मरकर  भी  जो  अमर  हो  गए  '  में  लिखा  है  -----   लोभी  और  दुष्ट  -- इन  दो  के  लिए  संसार  में  कोई  भी  घात   अकरणीय  नहीं  होती  l   साहसी  शत्रु  की  अपेक्षा   कायर  शत्रु  से   अधिक  सतर्क  और  सावधान  रहने  की   नीति   का  निर्देश  दिया  गया  है  l  ' 
   जोधपुर    के  महाराज  जसवंतसिंह   ने  औरंगजेब   का  हर  तरह  से  साथ  दिया ,  अपनी  वीरता  और  बुद्धिमत्ता   से    उसे  निर्भय  रखा  लेकिन  औरंगजेब  मन  ही  मन  उनसे  ईर्ष्या  रखता  था  ,  उनकी  वीरता  ,  उनका  प्रखर  व्यक्तित्व  उससे  सहन  नहीं  होता  था   l   कहते  हैं -- कायर  की  जब    वीर  से   विसाती   नहीं  तो  वह  कुटिलता  पर  उतर  आता  है  l  '    कुटिल    औरंगजेब  ने  उनके  पुत्र  पृथ्वीसिंह  को   धोखे  से  मर  वा  दिया  और  जोधपुर  पर  अपना   अधिकार  कर  लिया  l
आचार्य श्री  ने  लिखा  है ---- ' वीर  और  बर्बर  के  आदर्शों  में  अन्तर   होता  है  l   हमें  हमेशा  सतर्क  रहना  चाहिए  l 

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