जब मनुष्य पर दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तो वह दूसरों को अपने से श्रेष्ठ समझता है l जब यह दुर्बुद्धि पूरे समाज पर हावी हो जाती है तब व्यक्ति अपनी संस्कृति , अपनी शिक्षा , अपनी जीवन शैली , अपनी चिकित्सा पद्धति को भूलकर गलत दिशा में भागने लगता है l जहाँ राह गलत होती है वहां सफलता का प्रश्न ही नहीं होता l हमारे पास ऋषियों की बताई गई आयुर्वेदिक चिकित्सा है , प्राकृतिक चिकित्सा है लेकिन हम पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है इसलिए हम अपने तरीके को छोड़कर दूसरों के पीछे भागते हैं , लाखों रूपये खर्च कर अपना बजट बिगाड़ते हैं l इससे एक तो स्वस्थ ही नहीं होते और यदि ठीक भी हो गए तो दूसरी बीमारी गिफ्ट में लेकर आते हैं l ----
दो बहने थीं , छोटी बहन ऐलोपैथी में विश्वास रखती थी और बड़ी बहन अपनी देशी चिकित्सा में l यह एक संयोग ही था कि दोनों के दांत में भयंकर दर्द हुआ l जो ऐलोपैथी में विश्वास रखती थी उसे तुरंत आराम चाहिए था इसलिए डॉक्टर के पास गई , डॉक्टर ने देखा , दाँत निकलना जरुरी था अत: दांत निकाल दिया , वह बड़ी खुश, घर आ गई l
दूसरी बहन ने आयुर्वेदिक मंजन लिया , फिटकरी के पानी से कुल्ला किये , दर्द की जगह पर लौंग को रखा , इस तरह देशी तरीके से एक - दो दिन में उसका दर्द ठीक हुआ l फिर दुबारा नहीं हुआ l लेकिन छोटी बहन के कुछ दिनों बाद जो दाँत निकाला था , उसके पास वाले दाँत में दर्द हुआ l इस तरह एक - एक कर के उसने अपने तीन दाँत खो दिए और हजारों रूपये खर्च हुए सो अलग l अब यह बुद्धि का ही फेर है l संसार में सब कुछ है , लेकिन चुनाव हमें करना है l
यदि हम कमजोर हैं , हम में आत्मविश्वास नहीं है तो संसार में फायदा उठाने वाले सब जगह हैं l मनुष्य की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर वे उसे मानसिक रूप से अपना गुलाम बना लेते हैं , अपनी इच्छानुसार उन्हें जीवन जीने को विवश कर के अपने अहंकार को पोषित करते हैं l आज के युग की समस्याओं का हल वाद - विवाद से नहीं है l जब हम जागरूक होंगे , हमारा स्वाभिमान जागेगा , हमारे जीवन की दिशा सही होगी तभी हमारा मानव जीवन सफल होगा l
दो बहने थीं , छोटी बहन ऐलोपैथी में विश्वास रखती थी और बड़ी बहन अपनी देशी चिकित्सा में l यह एक संयोग ही था कि दोनों के दांत में भयंकर दर्द हुआ l जो ऐलोपैथी में विश्वास रखती थी उसे तुरंत आराम चाहिए था इसलिए डॉक्टर के पास गई , डॉक्टर ने देखा , दाँत निकलना जरुरी था अत: दांत निकाल दिया , वह बड़ी खुश, घर आ गई l
दूसरी बहन ने आयुर्वेदिक मंजन लिया , फिटकरी के पानी से कुल्ला किये , दर्द की जगह पर लौंग को रखा , इस तरह देशी तरीके से एक - दो दिन में उसका दर्द ठीक हुआ l फिर दुबारा नहीं हुआ l लेकिन छोटी बहन के कुछ दिनों बाद जो दाँत निकाला था , उसके पास वाले दाँत में दर्द हुआ l इस तरह एक - एक कर के उसने अपने तीन दाँत खो दिए और हजारों रूपये खर्च हुए सो अलग l अब यह बुद्धि का ही फेर है l संसार में सब कुछ है , लेकिन चुनाव हमें करना है l
यदि हम कमजोर हैं , हम में आत्मविश्वास नहीं है तो संसार में फायदा उठाने वाले सब जगह हैं l मनुष्य की इसी कमजोरी का फायदा उठाकर वे उसे मानसिक रूप से अपना गुलाम बना लेते हैं , अपनी इच्छानुसार उन्हें जीवन जीने को विवश कर के अपने अहंकार को पोषित करते हैं l आज के युग की समस्याओं का हल वाद - विवाद से नहीं है l जब हम जागरूक होंगे , हमारा स्वाभिमान जागेगा , हमारे जीवन की दिशा सही होगी तभी हमारा मानव जीवन सफल होगा l
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