हमारे आचार्य ने , ऋषियों ने बताया है कि हम अपने शरीर के पोषण के लिए जो कुछ भी ग्रहण करते हैं , न केवल उसका बल्कि उसे बनाते समय , बनाने वाले की भावना का भी हमारे शरीर व मन अर्थात स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है l यदि हमारी अज्ञानता में हमारा भोजन बनाने वाला कोई अपराधी है , हत्यारा है तो हमारे मन में भी वैसे ही बुरे ख्याल आएंगे l यदि हम किसी ऐसी महिला से खाना बनवाते हैं , जो हमेशा अपने घर में पति से कलह करती है तो उसके बनाये भोजन को खाने का प्रभाव हमारे पारिवारिक जीवन पर भी पड़ेगा l
यदि हम रासायनिक खाद , बीज , कीटनाशक आदि से उपजा अन्न , फल , सब्जी खाते हैं तो बीमारी हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगी l
जो लोग मांसाहार करते हैं तो इसमें बड़ी बात यह है कि वे जिस जानवर का मांस खाते हैं तो उस जानवर की विशेषताएं भी धीरे - धीरे उनमे आ जाती हैं l यह सब एक दिन में नहीं होता , बचपन से मांसाहार करते रहने से बड़े होने पर उस जानवर की विशेषता उनकी बुद्धि में आ जाती है l यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जो लोग विभिन्न तरह के जानवर , कीड़े - मकोड़े , पशु - पक्षी आदि न खाने योग्य भी सब कुछ खाते हैं तो उन सब विभिन्न जीव - जंतुओं की विशेषताओं का संयोग उनकी मानवी बुद्धि के साथ हो जाता है , इसलिए ऐसे लोग बहुत क्रूर , चालाक , धोखेबाज , खूंखार अदि दुर्गुणों से युक्त होते हैं l शास्त्रों में लिखा है ऐसे लोगों का कभी विश्वास न करे , उनसे दूरी बना कर रहे l
जब हम जागरूक होंगे , शांत रहकर अपने स्वाभाव , स्वास्थ्य , अपने आचार - विचार में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन - मनन करेंगे तभी हम समझेंगे कि हम क्या थे ? और कैसे हो गए ?
जिस भोजन और जल से हम जीवित रहते हैं उसकी पवित्रता जरुरी है l
यदि हम रासायनिक खाद , बीज , कीटनाशक आदि से उपजा अन्न , फल , सब्जी खाते हैं तो बीमारी हमारा पीछा नहीं छोड़ेंगी l
जो लोग मांसाहार करते हैं तो इसमें बड़ी बात यह है कि वे जिस जानवर का मांस खाते हैं तो उस जानवर की विशेषताएं भी धीरे - धीरे उनमे आ जाती हैं l यह सब एक दिन में नहीं होता , बचपन से मांसाहार करते रहने से बड़े होने पर उस जानवर की विशेषता उनकी बुद्धि में आ जाती है l यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जो लोग विभिन्न तरह के जानवर , कीड़े - मकोड़े , पशु - पक्षी आदि न खाने योग्य भी सब कुछ खाते हैं तो उन सब विभिन्न जीव - जंतुओं की विशेषताओं का संयोग उनकी मानवी बुद्धि के साथ हो जाता है , इसलिए ऐसे लोग बहुत क्रूर , चालाक , धोखेबाज , खूंखार अदि दुर्गुणों से युक्त होते हैं l शास्त्रों में लिखा है ऐसे लोगों का कभी विश्वास न करे , उनसे दूरी बना कर रहे l
जब हम जागरूक होंगे , शांत रहकर अपने स्वाभाव , स्वास्थ्य , अपने आचार - विचार में होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन - मनन करेंगे तभी हम समझेंगे कि हम क्या थे ? और कैसे हो गए ?
जिस भोजन और जल से हम जीवित रहते हैं उसकी पवित्रता जरुरी है l
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