' जो ईश्वर से भय खाता है उसे दूसरा भय नहीं सताता है l '
' भय ' का यदि विश्लेषण करे तो उसका एक रूप यह है कि विभिन्न कारणों से व्यक्ति भयभीत हो जाता है जैसे --- बच्चों के अनेक खेल - खिलौने ऐसे होते हैं , जिनसे वे बहुत डर जाते हैं , उनका मन बचपन से ही बहुत कमजोर हो जाता है l
जब बड़े हो जाते हैं तो डर के भिन्न कारण होते हैं जैसे कोई ऊंचाई से डरता है , कोई नदी , समुद्र के पास जाने से , डूबने से डरता है , कोई भूत - प्रेत से डरता है , कोई डरावने दृश्य देखकर डरता है l इस प्रकार के डर जीवन में बने रहते हैं , उनसे व्यक्ति के रोजगार , सामाजिक जीवन और समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता , यह व्यक्ति की निजी कमजोरी है l
' भय ' का सबसे घृणित पहलू है --- अपने स्वार्थ के लिए दूसरे पर छाये रहने की भावना से अपने अधीनस्थ लोगों का शोषण करना , उनको अपनी इच्छानुसार चलने को विवश करना l इस प्रकार के भय का क्षेत्र जितना व्यापक होगा , वह उतना ही समाज व राष्ट्र को पतन की ओर ले जायेगा l इस प्रकार का भय व्यक्ति का गुण नहीं है , इसे जबरन पैदा किया जाता है जैसे कोई शक्तिशाली है उसके विरुद्ध एक शब्द भी बोले तो जेल हो जाएगी , नौकरी से हटा दिया जायेगा l किसी को मरवा देने की घटनाएं इसी भय का दुष्परिणाम है l अपने से शक्तिशाली की बात नहीं मानी , अवहेलना की तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा l
इस प्रकार के ' भय ' के कारण लोग अपनी रोटी - रोजी और अपने परिवार को प्राथमिकता देते हुए चुप रहते हैं , सच्चाई का समर्थन नहीं करते , अत्याचार - अन्याय को देखकर भी अनदेखा करते हैं l इससे योग्य और सच्चे लोग उपेक्षित हो जाते हैं और समाज व राष्ट्र का पतन होने लगता है l
पहले छोटी - छोटी रियासतें थीं तो भय का क्षेत्र भी सीमित था लेकिन वैश्वीकरण के इस युग में ' भय ' भी अंतर्राष्ट्रीय हो गया है , अपने स्वार्थ के लिए धन और शक्ति संपन्न लोग भय का जाल बिछा देते हैं l ऐसी समस्या से निपटने के लिए विवेक जरुरी है , ईश्वर विश्वास से हमें शक्ति मिलती है l
' भय ' का यदि विश्लेषण करे तो उसका एक रूप यह है कि विभिन्न कारणों से व्यक्ति भयभीत हो जाता है जैसे --- बच्चों के अनेक खेल - खिलौने ऐसे होते हैं , जिनसे वे बहुत डर जाते हैं , उनका मन बचपन से ही बहुत कमजोर हो जाता है l
जब बड़े हो जाते हैं तो डर के भिन्न कारण होते हैं जैसे कोई ऊंचाई से डरता है , कोई नदी , समुद्र के पास जाने से , डूबने से डरता है , कोई भूत - प्रेत से डरता है , कोई डरावने दृश्य देखकर डरता है l इस प्रकार के डर जीवन में बने रहते हैं , उनसे व्यक्ति के रोजगार , सामाजिक जीवन और समाज पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता , यह व्यक्ति की निजी कमजोरी है l
' भय ' का सबसे घृणित पहलू है --- अपने स्वार्थ के लिए दूसरे पर छाये रहने की भावना से अपने अधीनस्थ लोगों का शोषण करना , उनको अपनी इच्छानुसार चलने को विवश करना l इस प्रकार के भय का क्षेत्र जितना व्यापक होगा , वह उतना ही समाज व राष्ट्र को पतन की ओर ले जायेगा l इस प्रकार का भय व्यक्ति का गुण नहीं है , इसे जबरन पैदा किया जाता है जैसे कोई शक्तिशाली है उसके विरुद्ध एक शब्द भी बोले तो जेल हो जाएगी , नौकरी से हटा दिया जायेगा l किसी को मरवा देने की घटनाएं इसी भय का दुष्परिणाम है l अपने से शक्तिशाली की बात नहीं मानी , अवहेलना की तो खामियाजा भुगतना पड़ेगा l
इस प्रकार के ' भय ' के कारण लोग अपनी रोटी - रोजी और अपने परिवार को प्राथमिकता देते हुए चुप रहते हैं , सच्चाई का समर्थन नहीं करते , अत्याचार - अन्याय को देखकर भी अनदेखा करते हैं l इससे योग्य और सच्चे लोग उपेक्षित हो जाते हैं और समाज व राष्ट्र का पतन होने लगता है l
पहले छोटी - छोटी रियासतें थीं तो भय का क्षेत्र भी सीमित था लेकिन वैश्वीकरण के इस युग में ' भय ' भी अंतर्राष्ट्रीय हो गया है , अपने स्वार्थ के लिए धन और शक्ति संपन्न लोग भय का जाल बिछा देते हैं l ऐसी समस्या से निपटने के लिए विवेक जरुरी है , ईश्वर विश्वास से हमें शक्ति मिलती है l
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