21 June 2020

WISDOM ----- आपसी फूट से बुद्धि मूर्छित हो जाती है

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  वाङ्मय  ' महापुरुषों  के  अविस्मरणीय जीवन  प्रसंग  '  में  लिखा  है ----- '  सिकन्दर   ने  भारत  पर  आक्रमण  से  पहले   यहाँ  की  आंतरिक  दशा  का  पता  लगाने  भेदिये   भेजे  ,  जिन्होंने  आकर  समाचार  दिया  कि   इसमें  कोई  संदेह  नहीं  कि   वीरता  भारतीयों   की  बपौती  है  ,  किन्तु  उनकी  सारी   विशेषताओं  को  एक  नागिन   घेरे  हुए  है  जिसे  ' फूट '  कहते  हैं  l   इसी   फूट   रूपी  नागिन  के  विष  से   भारतीयों   की  बुद्धि  मूर्छित  हो  चुकी  है  l
 सिकन्दर   ने  भारतीयों   में  फैली  इस  फूट   की  विष बेल  का  फायदा  उठाया   और  उसने  शीघ्र  ही    उस  तक्षक  का  पता  लगा  लिया  ,  जो  प्रोत्साहन  पाकर   भारत  की  स्वतंत्रता  पर  फन  मार  सकता   है  l   और  वह  था  ---- तक्षशिला  का   दम्भी    राजा  आम्भीक  l    यह  महाराज  पुरु  से  द्वेष  रखता  था  और  ईर्ष्या - द्वेष  में  अँधा  था  l
सिकन्दर   ने  अवसर  का   लाभ  उठाया  और  लगभग  पचास  लाख  रूपये  की  भेंट  के  साथ   सन्देश  भेजा  ,  यदि  महाराज  आम्भीक   सिकन्दर   की  मित्रता  स्वीकार  करे  तो  वह  उन्हें   पुरु  को  जीतने  में  मदद  करेगा  और  सारे  भारत  में  उनकी  दुन्दुभी   बजवा   देगा  l   सिकन्दर   द्वारा  भेजी  भेंट  और  सन्देश  पाकर  द्वेषान्ध ,  अहंकारी   आम्भीक    होश  खो  बैठा    और  वह  देश  के  साथ  विश्वासघात  कर  के   सिकन्दर   का  स्वागत  करने  के  लिए  तैयार  हो  गया  l   भारत  के  गौरवपूर्ण  चन्द्र - बिम्ब  में  एक  कलंक  बिन्दु   लग  गया  l
  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' जब  कोई  पापी  किसी  मर्यादा   की  रेखा   का  उल्लंघन   कर  उदाहरण  बन  जाता  है  ,  तब  अनेकों  को  उसका  उल्लंघन  करने  में   अधिक  संकोच  नहीं  रहता  l   आम्भीक   की 
 देखा  देखी    अनेक  राजा    सिकन्दर   से  जा  मिले  l   किन्तु  अभागे  आम्भीक   जैसे  अनेक    देश - द्रोहियों  के  लाख  कुत्सित  प्रयत्नों  के  बावजूद   भी  एक  अकेले  देशभक्त  पुरु   ने   भारतीय  गौरव  की  लाज  रखकर   संसार  को  सिकन्दर   से  पद - दलित   होने  से  बचा  लिया  l   भारतीय  इतिहास  में  महाराज  पुरु  का  बहुत  सम्मान  है  ,  केवल  वही  एक  ऐसे  वीर  पुरुष  हैं  ,  जिसने  पराजित  होने  पर  भी   विजयी  को  पीछे  हटने  पर  विवश  कर  दिया  l   

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