डॉ. सत्येन बसु भारत के उन गिने - चुने वैज्ञानिकों में माने जाते हैं जिन्होंने अपना जीवन विज्ञान के साथ समाज - सेवा और पीड़ित मानवता के उत्कर्ष में लगाया l 1958 में वे लन्दन की रॉयल -सोसायटी के फैलो भी रहे l उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर मैडम क्यूरी ने भी उन्हें अपनी प्रयोगशाला में काम करने को आमंत्रित किया l इस आमंत्रण पर वे एक वर्ष के लिए पेरिस गए l उन्हें कई विश्वविद्दालयों ने मानद - उपाधियाँ दीं , लेकिन वे कभी भी डिग्रियों या प्रशस्ति पत्र को लेकर कहीं आर्थिक संरक्षण मांगने नहीं गए l अपने प्राध्यापक जीवन में ही खुश रहकर उन्होंने विज्ञान की यथा शक्ति सेवा की l
डॉ. बसु का कहना था --- 'वैज्ञानिक होने से पहले मैं मनुष्य हूँ और अपना देश , जिसमे मैं जन्मा , पला और बड़ा हुआ उसका सेवक रहने में गौरव अनुभव करता हूँ l धर्म और विज्ञान के समन्वय से ही इस देश का उद्धार हो सकेगा l '
वैज्ञानिक प्रतिभा के साथ वे समाज सेवा में भी सक्रिय थे l 1936 में वे जब ढाका विश्वविद्दालय में प्रोफेसर थे , उस वर्ष जब ढाका में साम्प्रदायिक दंगे हुए तो प्रयोगशाला से निकल कर उन्होंने सैकड़ों स्त्री - बच्चों को बचाया l 1946 में जब कलकत्ता में दंगे हुए तो वे अपनी कार लेकर लोगों को बचाते रहे l जब नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने बर्लिन से भारत की जनता के नाम अपना प्रथम रेडियो भाषण दिया तो उसे गुप्त रूप से भारत में प्रसारित करने की व्यवस्था डॉ. बसु ने ही की थी l उस समय डॉ. बसु ने ढाका विश्वविद्दालय की प्रयोगशाला में उच्च शक्ति संपन्न रिसीवर पर वह भाषण सुना और टेप किया तथा इसके बाद ही वह भाषण सारे भारत में प्रचारित किया गया l
डॉ. बसु का कहना था --- 'वैज्ञानिक होने से पहले मैं मनुष्य हूँ और अपना देश , जिसमे मैं जन्मा , पला और बड़ा हुआ उसका सेवक रहने में गौरव अनुभव करता हूँ l धर्म और विज्ञान के समन्वय से ही इस देश का उद्धार हो सकेगा l '
वैज्ञानिक प्रतिभा के साथ वे समाज सेवा में भी सक्रिय थे l 1936 में वे जब ढाका विश्वविद्दालय में प्रोफेसर थे , उस वर्ष जब ढाका में साम्प्रदायिक दंगे हुए तो प्रयोगशाला से निकल कर उन्होंने सैकड़ों स्त्री - बच्चों को बचाया l 1946 में जब कलकत्ता में दंगे हुए तो वे अपनी कार लेकर लोगों को बचाते रहे l जब नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने बर्लिन से भारत की जनता के नाम अपना प्रथम रेडियो भाषण दिया तो उसे गुप्त रूप से भारत में प्रसारित करने की व्यवस्था डॉ. बसु ने ही की थी l उस समय डॉ. बसु ने ढाका विश्वविद्दालय की प्रयोगशाला में उच्च शक्ति संपन्न रिसीवर पर वह भाषण सुना और टेप किया तथा इसके बाद ही वह भाषण सारे भारत में प्रचारित किया गया l
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