जार्ज बर्नार्ड शा को जीवन में नव - पथ पर चलने की आदत थी , व्यापारी के साधारण पुत्र थे और साहित्यिक जगत में उच्च सम्मान पाया l उनकी महान साहित्यिक सेवाओं के उपलक्ष्य में उनको ' लार्ड ' की पदवी देने का प्रस्ताव किया तो उन्होंने उसे सधन्यवाद वापस कर दिया l
बर्नार्ड शा स्वयं अपनी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते थे l उन्होंने आरंभिक अवस्था में तीन उपन्यास लिखे l आगे चलकर स्वयं ही उनकी बड़ी खिल्ली उड़ाई l उन्होंने लिखा कि मेरी पहली कहानी तो इतनी घटिया थी कि उसे चूहों ने भी कुतरने से इन्कार कर दिया l
बर्नार्ड शा ने नाटक लिखे , उनका एक नाटक था ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' ( श्रीमती वारिन का पेशा ) इसमें समाज में फैली दुष्प्रवृतियों पर आक्रमण किया गया l इसमें दिखलाया गया कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं , उनमे से कितनों का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है l यह रचना प्रकाशित होते ही अश्लील बताकर जब्त कर ली गई थी l पर 1924 में इस पर से निषेधता हटा ली गई और अब इसे अश्लील के बजाय सच्चरित्रता की शिक्षा देने वाला माना जाता है l
इसकी मुख्य शिक्षा यही है कि ---- मनुष्य जैसा विश्वास रखता हो वैसा ही जीवन उसे व्यतीत करना चाहिए l दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है l
बर्नार्ड शा स्वयं अपनी आलोचना करने में पीछे नहीं हटते थे l उन्होंने आरंभिक अवस्था में तीन उपन्यास लिखे l आगे चलकर स्वयं ही उनकी बड़ी खिल्ली उड़ाई l उन्होंने लिखा कि मेरी पहली कहानी तो इतनी घटिया थी कि उसे चूहों ने भी कुतरने से इन्कार कर दिया l
बर्नार्ड शा ने नाटक लिखे , उनका एक नाटक था ' मिसेज वारेन्स प्रोफेशन ' ( श्रीमती वारिन का पेशा ) इसमें समाज में फैली दुष्प्रवृतियों पर आक्रमण किया गया l इसमें दिखलाया गया कि जो लोग समाज में ऊपर से ' सज्जन ' और ' सभ्य ' बने रहते हैं , उनमे से कितनों का ही भीतरी जीवन कैसा पतित होता है l यह रचना प्रकाशित होते ही अश्लील बताकर जब्त कर ली गई थी l पर 1924 में इस पर से निषेधता हटा ली गई और अब इसे अश्लील के बजाय सच्चरित्रता की शिक्षा देने वाला माना जाता है l
इसकी मुख्य शिक्षा यही है कि ---- मनुष्य जैसा विश्वास रखता हो वैसा ही जीवन उसे व्यतीत करना चाहिए l दुरंगा व्यक्तित्व रखना नीचता का लक्षण है l
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