24 July 2020

WISDOM ----

  श्रीमद्भगवद्गीता   में  भगवान   कहते  है --- सामान्य जन  के  जीवन  में  जब  कोई  दुःख  आता  है  ,  कोई  बीमारी  आती  है , कोई  असफलता  घटित  होती   है   तो  सामान्य - जन  यही  सोचते  हैं  कि   किन्ही  दूसरे  लोगों  की  शरारत ,  षड्यंत्र  के  कारण  हम  कष्ट  पा  रहे  हैं  l   अज्ञानी  हमेशा  दूसरों  को  दोषी  ठहराता   है  l   लेकिन  जो  ज्ञानी  है   वह  जीवन  के  प्रत्येक  दुःख  में   दूसरों  के  नहीं  अपने  दोष  ढूंढ़ता   है  l
  यदि  दुःख , पीड़ा   और रोग  आदि  में   हमें  अपनी  कमियां ,  अपने  दोष   समझ  में  आने  लगें  ,  हम  इन्हे  खोज  सकें   तो  फिर  हम   आगे  ऐसी  गलतियाँ   नहीं  करेंगे  l   जिन  दोषों  की  वजह  से  हमारा  जीवन  दुःखों   से  भर  गया  ,  हम  पुन:  वे  गलतियां  नहीं  करेंगे   और  हमारा  मन  संस्कारित  होने  लगेगा  l
   लेकिन  अज्ञानी  जो  अपने   दुःखों   के  प्रत्येक  कारण  को   दूसरों  में  ढूंढ़   रहा  है  ,  उसके  लिए  दुःखों   के  कारणों  को  हटाना  असंभव  होगा  l 

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