जिसके हृदय में संवेदना है , वह सब के दुःख , कष्ट को महसूस करता है फिर चाहे वह कोई मनुष्य हो , पेड़ - पौधे हों या पशु - पक्षी हों l --- एक व्यक्ति समुद्र के किनारे लहरों के साथ बहकर आती सीपों , मछलियों को उठा - उठाकर पानी में फेंक रहा था l उसे ऐसा करते हुए एक व्यक्ति ने देखा तो टोक कर कहा --- ' तुम्हारे ऐसा करने से क्या फरक पड़ेगा ? कल दूसरे हजारों प्राणी यहाँ आकर बह लगेंगे l '
वह व्यक्ति बोला ---- " और किसी पर फरक न भी पड़े , पर जिस एक प्राणी का जीवन ऐसा करने से बचेगा , उसके जीवन पर तो निश्चित रूप से फरक पड़ेगा l मैं यह कार्य उस छोटे से फरक के लिए कर रहा हूँ l "
मनुष्य में सन्मार्ग पर चलने की, सत्कर्म करने की स्वाभाविक प्रवृति होती है लेकिन लोभ - लालच आदि मानसिक कमजोरियों की वजह से यह प्रवृति दब जाती है , इस पर धूल छा जाती है और वह भ्रष्टाचार , बेईमानी और लोगों का , प्रकृति का उत्पीड़न , शोषण करने लगता है l
लेकिन यह सत्य है कि छोटे - छोटे शुभ कार्य ही बड़े प्रभावों को जन्म देते हैं l जब व्यक्ति किसी को सत्कर्म करते हुए , जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखता है और उसके बदले उसे मिलने वाले प्यार और दुआओं को समझता है तो कहीं न कहीं उसके दिल में भी परोपकार करने की प्रवृति जगती है l बुराई की राह पर व्यक्ति जल्दी आगे बढ़ जाता है क्योंकि उसमे तुरंत लाभ है लेकिन अच्छाई की राह पर आगे बढ़ने में समय लगता है l
आज संसार को संवेदना के वायरस की जरुरत है , जिस दिन यह फ़ैल गया , उस दिन से संसार में सुख - शांति होगी और पशुता की ओर बढ़ रहा मनुष्य सच्चा इंसान बनेगा l
वह व्यक्ति बोला ---- " और किसी पर फरक न भी पड़े , पर जिस एक प्राणी का जीवन ऐसा करने से बचेगा , उसके जीवन पर तो निश्चित रूप से फरक पड़ेगा l मैं यह कार्य उस छोटे से फरक के लिए कर रहा हूँ l "
मनुष्य में सन्मार्ग पर चलने की, सत्कर्म करने की स्वाभाविक प्रवृति होती है लेकिन लोभ - लालच आदि मानसिक कमजोरियों की वजह से यह प्रवृति दब जाती है , इस पर धूल छा जाती है और वह भ्रष्टाचार , बेईमानी और लोगों का , प्रकृति का उत्पीड़न , शोषण करने लगता है l
लेकिन यह सत्य है कि छोटे - छोटे शुभ कार्य ही बड़े प्रभावों को जन्म देते हैं l जब व्यक्ति किसी को सत्कर्म करते हुए , जरूरतमंदों की मदद करते हुए देखता है और उसके बदले उसे मिलने वाले प्यार और दुआओं को समझता है तो कहीं न कहीं उसके दिल में भी परोपकार करने की प्रवृति जगती है l बुराई की राह पर व्यक्ति जल्दी आगे बढ़ जाता है क्योंकि उसमे तुरंत लाभ है लेकिन अच्छाई की राह पर आगे बढ़ने में समय लगता है l
आज संसार को संवेदना के वायरस की जरुरत है , जिस दिन यह फ़ैल गया , उस दिन से संसार में सुख - शांति होगी और पशुता की ओर बढ़ रहा मनुष्य सच्चा इंसान बनेगा l
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