इस संसार में शुरू से ही अच्छाई और बुराई में संघर्ष रहा है l अपनी ही दुष्प्रवृतियों से विवश होकर मनुष्य दूसरों को सताता रहा है l स्वार्थ , लालच , अहंकार और ईर्ष्या ऐसे दुर्गुण हैं जो व्यक्ति को संवेदनहीन और निर्दयी बना देते हैं l ऐसे दुर्गुणों से ग्रस्त व्यक्ति दूसरों का सुख छीनते हैं , उनसे किसी का सुख , किसी की तरक्की बर्दाश्त नहीं होती l कहते हैं जिनमे यह दुर्गुण अधिक होता है , उन पर कोई बुरी शक्ति हावी हो जाती है और उसके माध्यम से संसार में अनीति , अत्याचार , हिंसा , अपराध और आतंक की घटनाओं को अंजाम देती है l इतिहास में इस सत्य के कई उदाहरण मिलते हैं l दुर्बुद्धि ऐसी हावी होती है कि धन संपन्न व्यक्ति निर्धनों की गरीबी मिटाने के कार्य न कर के , उन गरीबों को ही मिटाने का कार्य करते हैं l
जिसके पास शक्ति है , वह सत्कर्मों से लोगों के हृदय को जीतने का प्रयास नहीं करते , वे अपनी ताकत से जीवित लाशों पर राज करना चाहते हैं l
जिन पर नई पीढ़ी को बनाने की जिम्मेदारी है वही उनका शोषण करते हैं l
जब सत्प्रवृत्तियाँ संगठित होंगी , जागरूक होंगी तभी आसुरी प्रवृतियों पर नियंत्रण संभव होगा l
जिसके पास शक्ति है , वह सत्कर्मों से लोगों के हृदय को जीतने का प्रयास नहीं करते , वे अपनी ताकत से जीवित लाशों पर राज करना चाहते हैं l
जिन पर नई पीढ़ी को बनाने की जिम्मेदारी है वही उनका शोषण करते हैं l
जब सत्प्रवृत्तियाँ संगठित होंगी , जागरूक होंगी तभी आसुरी प्रवृतियों पर नियंत्रण संभव होगा l
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