पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- " जब - जब मनुष्य पर बेअकली सवार होती है तो वह जाति , सम्प्रदाय , रंग - रूप , भाषा और देश के आधार पर विभाजित होता चला जाता है और अपनी शांति व खुशहाली नष्ट करता रहता है l "
अहंकार एक प्रकार का पागलपन है l कुछ लोगों के अहंकार का परिणाम मानव समाज भुगतता है l ------------- एक देश का बँटवारा हुआ l विभाजन रेखा एक पागलखाने के बीच में से गुजरी l तो अधिकारियों को बड़ी चिंता हुई कि अब क्या किया जाये l दोनों देश के अधिकारियों में से कोई भी पागलों को अपने देश में लेने को तैयार न था l अधिकारी इस बात पर सहमत हुए कि पागलों से ही पूछा जाये कि वे किस देश में रहना चाहते हैं l
अधिकारियों ने पागलों से कहा --- देश का बँटवारा हो गया है , आप उस देश में जाना चाहते हैं या इस देश में l ' पागलों ने कहा --- " हम गरीबों का पागलखाना क्यों बांटा जा रहा है ? हम में आपस में कोई मतभेद नहीं , हम सब मिलकर रहते हैं , इसमें आपको क्या आपत्ति ? '
अधिकारियों ने कहा ---- ' आपको जाना कहीं भी नहीं है , आप तो यह बताएं कि इस देश में रहना चाहते हैं या उस देश में l '
पागल बोले ---- ' यह भी क्या अजीब पागलपन है , जब हमें जाना कहीं नहीं है तो उस देश या इस देश से क्या मतलब l '
अधिकारी बड़ी उलझन में पड़ गए , उन्होंने सोचा व्यर्थ की माथापच्ची से क्या लाभ ? उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचोंबीच एक दीवार खड़ी कर दी l
कभी कभी पागल उस दीवार पर चढ़ जाते , और एक दूसरे से कहते --- देखा ! समझदारों ने देश का विभाजन कर दिया l न तुम कहीं गए न हम l व्यर्थ में हमारा - तुम्हारा मिलना - जुलना , हँसना - बोलना बंद कर के इन्हे क्या मिला ? '
यह एक चिंतन का विषय है कि पागलपन किस पर हावी है ?
अहंकार एक प्रकार का पागलपन है l कुछ लोगों के अहंकार का परिणाम मानव समाज भुगतता है l ------------- एक देश का बँटवारा हुआ l विभाजन रेखा एक पागलखाने के बीच में से गुजरी l तो अधिकारियों को बड़ी चिंता हुई कि अब क्या किया जाये l दोनों देश के अधिकारियों में से कोई भी पागलों को अपने देश में लेने को तैयार न था l अधिकारी इस बात पर सहमत हुए कि पागलों से ही पूछा जाये कि वे किस देश में रहना चाहते हैं l
अधिकारियों ने पागलों से कहा --- देश का बँटवारा हो गया है , आप उस देश में जाना चाहते हैं या इस देश में l ' पागलों ने कहा --- " हम गरीबों का पागलखाना क्यों बांटा जा रहा है ? हम में आपस में कोई मतभेद नहीं , हम सब मिलकर रहते हैं , इसमें आपको क्या आपत्ति ? '
अधिकारियों ने कहा ---- ' आपको जाना कहीं भी नहीं है , आप तो यह बताएं कि इस देश में रहना चाहते हैं या उस देश में l '
पागल बोले ---- ' यह भी क्या अजीब पागलपन है , जब हमें जाना कहीं नहीं है तो उस देश या इस देश से क्या मतलब l '
अधिकारी बड़ी उलझन में पड़ गए , उन्होंने सोचा व्यर्थ की माथापच्ची से क्या लाभ ? उन्होंने विभाजन रेखा पर पागलखाने के बीचोंबीच एक दीवार खड़ी कर दी l
कभी कभी पागल उस दीवार पर चढ़ जाते , और एक दूसरे से कहते --- देखा ! समझदारों ने देश का विभाजन कर दिया l न तुम कहीं गए न हम l व्यर्थ में हमारा - तुम्हारा मिलना - जुलना , हँसना - बोलना बंद कर के इन्हे क्या मिला ? '
यह एक चिंतन का विषय है कि पागलपन किस पर हावी है ?
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