19 July 2020

WISDOM -----

          पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- " जब - जब  मनुष्य  पर    बेअकली   सवार  होती  है    तो  वह  जाति ,  सम्प्रदाय ,  रंग - रूप  ,  भाषा    और  देश  के  आधार  पर   विभाजित   होता  चला  जाता   है   और  अपनी   शांति  व  खुशहाली  नष्ट  करता  रहता  है    l   "   
   अहंकार  एक  प्रकार   का  पागलपन  है    l   कुछ  लोगों  के  अहंकार    का  परिणाम   मानव  समाज  भुगतता  है   l ------------- एक  देश  का  बँटवारा   हुआ  l   विभाजन  रेखा  एक  पागलखाने   के  बीच   में  से  गुजरी   l   तो  अधिकारियों   को  बड़ी  चिंता  हुई  कि   अब  क्या  किया  जाये  l  दोनों  देश    के  अधिकारियों   में  से  कोई  भी  पागलों  को  अपने  देश  में   लेने  को  तैयार  न  था  l   अधिकारी  इस  बात  पर  सहमत  हुए  कि   पागलों  से  ही  पूछा  जाये   कि   वे  किस  देश  में  रहना  चाहते  हैं  l
 अधिकारियों   ने  पागलों  से  कहा  --- देश  का  बँटवारा   हो  गया  है  ,  आप  उस  देश  में  जाना  चाहते  हैं   या  इस  देश  में   l '     पागलों  ने  कहा  --- " हम  गरीबों  का  पागलखाना  क्यों  बांटा  जा  रहा  है  ? हम  में  आपस  में  कोई  मतभेद  नहीं ,  हम  सब  मिलकर  रहते   हैं   , इसमें  आपको  क्या  आपत्ति  ? '
 अधिकारियों   ने  कहा ---- ' आपको  जाना  कहीं  भी  नहीं  है  ,  आप  तो  यह  बताएं  कि   इस  देश  में  रहना  चाहते  हैं  या  उस  देश  में  l '
 पागल  बोले ---- ' यह  भी  क्या  अजीब  पागलपन  है  ,  जब  हमें  जाना  कहीं  नहीं  है   तो  उस  देश  या  इस  देश  से  क्या  मतलब   l  '
अधिकारी  बड़ी  उलझन  में  पड़   गए  ,  उन्होंने  सोचा  व्यर्थ  की  माथापच्ची  से  क्या  लाभ   ?  उन्होंने  विभाजन  रेखा  पर     पागलखाने  के   बीचोंबीच   एक  दीवार  खड़ी  कर  दी  l
  कभी  कभी  पागल  उस  दीवार  पर  चढ़  जाते  ,  और  एक  दूसरे  से  कहते  --- देखा  !  समझदारों  ने  देश  का   विभाजन  कर  दिया   l   न  तुम  कहीं  गए  न  हम  l   व्यर्थ  में  हमारा - तुम्हारा    मिलना - जुलना ,  हँसना - बोलना  बंद  कर  के    इन्हे  क्या  मिला  ? '
  यह  एक  चिंतन  का  विषय  है   कि   पागलपन  किस  पर  हावी  है  ?

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