18 July 2020

WISDOM ----

  कहते  हैं  जब  संसार  में  अनीति  और  अत्याचार  बहुत  बढ़  जाता  है  ,  तब  प्रकृति  क्रुद्ध  हो  जाती  है  l   आज  संसार  में  आतंकवाद , भ्रष्टाचार , व्यभिचार , हिंसा , हत्या  जैसे  अपराध  अपनी  चरम  सीमा  पर  हैं   l   ये  सब  समस्या  मनुष्य  के  ही  नकारात्मक  विचारों  की  देन   है   l   आज  ईमानदारी  और  श्रम  को  हिकारत   की  नजर  से  देखा  जाता  है   l   समाज  में  जो  जितना  भ्रष्ट  है   और   जिसने   बेईमानी  की  पूंजी  एकत्र   की  है  ,  उसी  की  प्रतिष्ठा  व  मान  है   l   ऐसे  में  रातों  रात  अमीर  होने  और  प्रतिष्ठा  पाने  के  लिए  व्यक्ति  हर  संभव  प्रयत्न  करता  है  ,  यही  भ्रष्टाचार  का  मूल  है  l   अपनी  इस  कुचेष्टा  में   जो  जितना  सफल  है  ,  वही  प्रतिभावान  माना   जा  रहा  है  l
  धन  प्रमुख  है , मुख्य  धुरी  है  इसी  के  चारों  और   विभिन्न  अपराध  चक्कर  काटते  हैं   l   यह  सब  एक  सीमा  में  हो  तब  भी  ठीक  है  ,  लेकिन  जब  धरती  अंधकार  से  घिर  जाए ,   इनसान   संवेदनहीन  हो 
जाये   ,    अँधेरे  की  शक्तियां  और  अंधकार  फैलाने   में  लग  जाएँ   तब  इस  अनीति  और  अत्याचार  से  निपटने  के  लिए  भगवन  शिव  अपना  तृतीय  नेत्र  खोल  देते  हैं ,  हाथ  में  त्रिशूल  धारण  कर    रौद्र  रूप  धारण  करते  हैं  l   कहते  हैं  परमात्मा  को  अपनी  इस  सृष्टि  से  बहुत  प्यार  है  l   यदि  हमें  ईश्वर  के , प्रकृति  के  प्रकोप  से  बचना  है   तो  हमें  इस  सृष्टि  को  सुन्दर  बनाने  के  लिए  योगदान  देना  होगा   l  

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