महाराष्ट्र में पुणे में जन्मे बाबा राघवदास ने गांधीजी के साथ काफी दिन काम किया और फिर उत्तर भारत में गोरखपुर के होकर ही रह गए l वर्ष 1950 में एक कार दुर्घटना में वे घायल हो गए l चिकित्सकों ने कहा कि दवा तो आपको लेनी ही होगी , पर उन्होंने जीवन में कभी दवा नहीं ली थी , प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास करते थे l उन्हें जलोदर हो गया , तब वे डॉ. अप्पाजी के साथ पुणे चले गए और पूर्णत: स्वस्थ होकर लौटे l इसके बाद उन्होंने अपने सेवा कार्य में प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार भी जोड़ लिया l गोरखपुर एवं आश्रम बरहज में उन्होंने कई प्राकृतिक चिकित्सालय खुलवाए l उनके प्रयास से ' अखिल भारत प्राकृतिक चिकित्सा परिषद् ' की स्थापना हो गई , इससे पूरे देश में प्राकृतिक चिकित्सा को पोषण मिला l
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