29 July 2020

WISDOM ----- 'परहित सरिस धर्म नहीं भाई l '

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --- ' जीवित  रहते  स्वयं  को  श्रेष्ठतम  कर्मों  में  लगाए  रखो   l  व्यक्ति  के  श्रेष्ठ  कर्म  ढाल  के  समान   उसकी  रक्षा  करते  हैं   और  दुष्कर्म  असमय  ही   उसे    मौत  के  मुँह   में   ढकेल   देते  हैं   l   श्रेष्ठ  कर्मों  से  भगवान   भी  प्रसन्न  होते  हैं   और  उनकी  कृपा दृष्टि  बनी   रहती  है  ,  जिससे  मौत  भी  कुछ  नहीं  कर  पाती  l '
 ज्योर्तिमठ  के  शंकराचार्य  के  शिष्य    कृष्ण  बोधाश्रम   120  वर्ष  जीवित  रहे   l   एक  बार  वे  प्रवास  पर  थे , उस  इलाके  में   चार  वर्ष  से  पानी  नहीं  गिरा  था   l   कुएं - तालाबों  का  पानी  सूख   गया  था   l   सभी  आये  , कहा --- महाराज  जी  !  उपाय  बताएं  l  "  वे  बोले --- पुण्य  होंगे  तो  प्रसन्न  होगा  भगवान  l '
 लोगों  ने  पूछा --- " क्या  पुण्य  करें  ? "  तो  वे  बोले ---- " सामने  तालाब  है  , उसमे  थोड़ा  ही  पानी  है , मछलियाँ   मर  रही  हैं ,  उसमे  पानी  डालो  l "  लोग  बोले  --- "  हमारे  लिए  ही  पानी  नहीं  है  ,  मछलियों  को  पानी  कहाँ  से  दें  ? "
  उन्होंने  कहा --- " कहीं  से  भी  लाओ  ,  कुओं  से  भर  - भरकर   लाओ  और  तालाब  में  डालो   "  सभी  ने  पानी  तालाब  में  डालना  शुरू   किया  l   तीसरे  दिन  बादल   आये  ,  घटायें  भरकर  महीने  भर  बरसीं  l   सारा  दुर्भिक्ष - पानी  का  अभाव   दूर  हो  गया  l 

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