स्वामी विवेकानंद कहा करते थे --- जिसके मन में साहस तथा हृदय में प्रीति है , वही मेरा साथी बने l साहस के साथ यदि संवेदना न हो तो युवक विनाश की ओर बढ़ने लगते हैं , जबकि साहस के साथ संवेदना हो तो मानवता की सेवा की जा सकती है l "
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