आज का समय ' यूज एंड थ्रो ' का है l धन - वैभव को प्रमुखता देने के कारण मनुष्य भी चाहे वह नर हो या नारी , वस्तु की तरह उसे इस्तेमाल किया जाता है l हम इनसान बने , वस्तु नहीं , इसके लिए जागरूकता की जरुरत है l एक छोटी सी कहानी है जो यह बताती है कि कोई शक्तिवान , अहंकारी यदि किसी कमजोर की मदद लेता है तो निश्चित ही उसके पीछे उसका कोई बड़ा स्वार्थ होता है l स्वार्थ पूरा होते ही उसे उपेक्षित ( थ्रो ) कर दिया जाता है l विद्वानों का कथन है कि हम विवेकशील बने , सतर्क रहें , कहीं हमारी योग्यता का फायदा गलत लोग तो नहीं उठा रहे l कहानी है ---- एक शेर को एक बार बारहसिंगा खाने की बड़ी इच्छा हुई l उसने एक सभा की और सियारों से कहा कि वह चलने - फिरने में असमर्थ है , अत: बारहसिंगा को पकड़ने में वे उसकी मदद करें , तो उन्हें भी उसका मांस खाने को मिलेगा l सियार बहुत खुश हुए , अपनी ख़ुशी जंगल में सबसे बताते फिरे , कि देखो शेर को भी हमारी जरुरत है l लोमड़ी ने उन्हें बहुत समझाया कि बारहसिंगा खाने के बाद शेर तुमको भी मार डालेगा , उसकी बातों में न आओ l लेकिन सियार तो सियार , वे लालच में अपना होश खो बैठे थे l आखिर सियार के सहयोग से शेर ने बारहसिंगा को मारा l मांस का बंटवारा शेर को ही करना था --- उसने शिकार के टुकड़े किए और कहा --' एक टुकड़ा राजवंश का है l दूसरा टुकड़ा अधिक पुरुषार्थ करने के कारण मेरा है और तीसरा स्वयंवर जैसा, उसे पाने के लिए प्रतिद्वंदिता में जो आना चाहे , वो मेरे साथ संघर्ष करे l " सियार को लोमड़ी की बात याद आ गई , किसी तरह जान बचाकर वे भागे l कहानी की यही शिक्षा है कि धूर्त के साथ सहयोग भी हितकारी नहीं होता , जहाँ तक हो उससे बचना चाहिए l
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