आचार्य श्री लिखते हैं --- विधाता ने मनुष्य को अनेकानेक संपदाओं और विशेषताओं से सुसज्जित कर के भेजा है l अपार विभूतियों के होते हुए भी मनुष्य अपने को इतना असहाय और विक्षुब्ध पाता है l इतना शानदार शरीर होने के बावजूद मनुष्य यदि असंख्य बीमारियों से जूझता हुआ मिलता है तो उसका एक ही कारण है और वह है --- असंयम l "
अपने एक प्रवचन में आचार्य श्री कहते हैं ---' कोई व्यक्ति बार - बार बीमार होता है तो डॉक्टर कहता है आपके भीतर वायरस है l छोटे - छोटे वायरस हमको इतना हैरान कर सकते हैं l उन्होंने कहा -- एक फ्रांसीसी डॉक्टर था l कॉलेरा के जर्म्स की पांच सी. सी. की ट्यूब लेकर आया और डाक्टरों की सभा में कहा कि देखिए , आप इसका टैस्ट कीजिये कि इससे कितने आदमी मारे जा सकते हैं l डॉक्टर ने कहा कि इसमें एक लाख आदमियों के मारे जाने लायक जहर है l फ्रांसीसी डॉक्टर ने कहा कि आप लोगों के सामने एक बार फिर टेस्ट कर लीजिये कि यह कॉलेरा के ही जर्म्स हैं कि नहीं हैं l अब मैं इसको पी कर दिखाता हूँ कि पीने के बाद मैं जिन्दा रह सकता हूँ कि नहीं l उसने जर्म्स भरी ट्यूब में से पांच सी. सी. निकाल लिया और पी लिया l इसे पीने के बाद भी वह मरा नहीं l आचार्य श्री कहते हैं --- हमारे शरीर का यह किला और दुर्ग इतना मजबूत बना कर भेजा गया है कि जन्म से ही इसमें कोई गोलीबारी काम नहीं कर सकती l यदि जर्म्स से बीमारियाँ आई होतीं , तो वार्ड ब्वॉय टी. बी. के मरीजों की , कैंसर के मरीजों की तीमारदारी करते हैं , सफाई कर्मचारी मरीजों की गंदगी साफ करते हैं , अस्पताल की , वहां की नाली की सफाई करते हैं , उन्हें जर्म्स लग जाएँ तो लाशों के ढेर लग जाएँ , लेकिन यह तो वहम है l बीमारियों का दुनिया में केवल एक ही कारण है और वह है --- असंयम l मनुष्य अपने स्वाद , कामना , वासना के आधीन होकर असंयमित जीवन जीता है जिससे उसका शरीर खोखला हो जाता है और तरह - तरह की बीमारियां उसे घेर लेती हैं l
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