ब्रह्मा जी ने प्राणियों का निर्माण किया , फिर मनुष्य से पूछा --- " तुम्हारी और क्या इच्छा है ? " मनुष्य बोला ---- " मैं बुद्धिमान तो बहुत हूँ , पर चाहता हूँ कि और आगे बढूं और ऐसा रहूं , जिसकी कोई बराबरी न कर सके l " ब्रह्मा जी ने उसे दो झोलियाँ दीं और कहा --- ' इन्हे गले में लटकाये रहना l दूसरों की विशेषताएं ढूंढ़ना और उन सभी अच्छाइयों को अपनी आगे वाली झोली में भरते जाना l और अपनी विशेषताओं पर ध्यान न देना , उन्हें पीछे वाली झोली में भरना , इससे तुम्हारी बुद्धिमत्ता बढ़ेगी l मनुष्य प्रसन्न हो गया , पर झोलियों के सम्बन्ध में आगे - पीछे वाला निर्देश भूल गया , उसने आगे की झोली पीछे और पीछे वाली आगे लटका ली l यही कारण है कि अब वह अपने गुणों को बखानता है , दूसरों के गुणों को नहीं देखता , उनसे कुछ सीखता नहीं , पर - निंदा में उलझा रहता है l
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