दो आचार्य परस्पर वार्तालाप कर रहे थे l एक ने दूसरे से पूछा --- " उन्हें मूर्ख , परन्तु विनम्र शिष्य पसंद हैं अथवा बुद्धिमान , किन्तु अहंकारी l " आचार्य ने उत्तर दिया --- " जो मूर्ख है उसे समझाया जा सकता है , किन्तु जो विशेषज्ञ , परन्तु अहंकारी है , उसे ब्रह्मा भी रास्ते पर नहीं ला सकते l " विश्व का इतिहास ऐसे ही अहंकारियों की गाथा से भरा पड़ा है जिन्होंने अपने अहंकार के कारण सामान्य जन को बेकसूर मरने पर मजबूर कर दिया l यह सत्य है कि प्रत्येक प्राणी इस संसार में जीना चाहता है , कोई नहीं चाहता कि उसके बच्चे अनाथ हो जाएँ , उसका परिवार बेसहारा हो जाये , यह धरती अनाथों , विधवाओं , अपाहिजों और बीमारों के करुण क्रंदन से भर जाये l केवल कुछ लोगों के अहंकार , महत्वाकांक्षा और स्वार्थ का दुष्परिणाम संसार को भुगतना पड़ता है l यह जानते हुए भी कि मृत्यु निश्चित है , इस धरती से एक तिनका भी साथ नहीं ले जा सकते , फिर भी निर्दोष जनता को कष्ट व मुसीबत में डालकर लोग स्वयं अपने जीवन को कलंकित करते हैं
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