23 September 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' स्वार्थी  व  अहंकारी   व्यक्ति  कभी  सुखी  व  संतुष्ट   नहीं  हो  सकता   क्योंकि   उसके  मन  में   सदैव  कुछ  पाने  की   इच्छा  बनी  ही  रहती  है   l   स्वार्थ  के  साथ   अहंकार  ,  ईर्ष्या , द्वेष    आदि   अवगुण  स्वत:  ही  जुड़  जाते  हैं   l   अहंकार  कभी  भी  थोड़े  से  संतुष्ट  नहीं  होता  ,  बल्कि  वह  तो   और  अधिक , सबसे  अधिक , सर्वश्रेष्ठ  की  अपेक्षा  रखता  है  l   इसी  कारण  व्यक्ति  में  ईर्ष्या ,  द्वेष  का  उदय  होता  है  , जो  दूसरों  के  शोषण  का  कारण  बनता  है  और  इसी  से  उत्पन्न  होती  है  भाव शून्यता  l आज  मनुष्य  इसी  भावशून्यता  की  स्थिति  में  जी  रहा  है  l '    प्रेम  , दया  ,  त्याग  का  स्थान  स्वार्थ , अहंकार   व  ईर्ष्या , द्वेष  ने  ले  लिया  है  l  "  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' अहंकारी  व्यक्ति  समाज  की  उपेक्षा  कर  अपने  लिए  सुख  के  साधन  तो    जुटा   सकता  है   किन्तु  जीवन  को  सुखी  नहीं  बना  सकता  l   जीवन  में  सब  कुछ  होते  हुए  भी  सुख , शांति  व  संतुष्टि  नहीं  होती   l '

No comments:

Post a Comment