इनसान बनना बहुत कठिन है , लेकिन पशु बनना , पाशविक कार्य करना बहुत सरल है l और ऐसा कर के मनुष्य अपनी ही जाति, अपनी ही संस्कृति और अपने ही देश के गौरव को कलंकित करता है l
लंदन प्रवास में एक सभा के बीच जब स्वामी विवेकानंद भारत के गौरव का वर्णन कर रहे थे , तब एक आलोचक ने उठकर पूछ लिया ---- " भारत के हिन्दुओं ने क्या किया है ? वे आज तक किसी जाति पर विजय प्राप्त नहीं कर सके l " तब स्वामीजी ने कहा --- " नहीं कर सके नहीं , कहिए कि उन्होंने की नहीं l यही हिन्दू जाति का गौरव है कि उसने कभी दूसरी जाति के रक्त से पृथ्वी को रंजित नहीं किया l वे दूसरों के देश पर अधिकार क्यों करेंगे l भारत को भगवान ने दाता के महिमामय आसन पर प्रतिष्ठित किया l वह देगा की छीनेगा ? भारतवासी आप लोगों की तरह रक्तपिपासु दस्यु नहीं थे l इसलिए मैं अपने पूर्वजों के गौरव से स्वयं को गौरवान्वित महसूस करता हूँ l " ऐसा जवाब योद्धा संन्यासी स्वामी विवेकानंद ही दे सकते थे l
No comments:
Post a Comment