एक संत प्रवचन दे रहे थे , सुनने आये श्रद्धालुओं ने उनके सम्मुख एक समस्या रखी l वे बोले --- " महाराज ! हमारे मन में कइयों के प्रति द्वेष है , उसे कैसे निकालें ? " संत बोले --- ' आप लोग ऐसा करना कि कल अपने साथ थैला भरकर आलू लाना और हर आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखना , जिससे आपको द्वेष हो l " अगले दिन सभी श्रद्धालु अपने साथ आलू भरा थैला लेकर आए , सबने अनेक आलुओं पर उन व्यक्तियों के नाम लिखे थे , जिनसे उनको द्वेष था l संत बोले --- " अब ऐसा करना कि इस थैले को दिन - रात अपने पास रखना , छोड़ना नहीं l " सत्संग में आए सभी श्रद्धालुओं ने इस निर्देश का पालन करना शुरू कर दिया l दो - तीन दिन तो विशेष समस्या नहीं हुई , परन्तु सप्ताह अंत होते तक आलुओं में से भयंकर दुर्गन्ध आने लगी l अब सब लोग बड़े चिंतित हुए और संत के पास जाकर बोले ---- " महाराज ! आपने भी यह कैसा विचित्र कार्य हमें करने को दिया है l इन बदबूदार आलुओं को हमें कब तक अपने साथ रखना है ? " संत बोले ----- "आप लोग ये सोचो कि जब इन नाम लिखे आलुओं को हफ्ते भर साथ रखने में इतनी दुर्गन्ध उठती है तो जब इन व्यक्तियों के नामों को ईर्ष्या और द्वेष के साथ अपने अंतर्मन में रखते होंगे तो आपके चित्त से कितनी दुर्गन्ध उठती होगी ! जब भावनाएं कलुषित होंगी तो मन को भारी ही बनाएंगी , हलका नहीं l " संत द्वारा दिए गए कार्य का उद्देश्य समझ में आ जाने पर सबको जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण सीख मिल गई l
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