25 November 2020

WISDOM ----

    एक  बार  की  बात  है    यमराज  और  उनके  दूत    धरती  से  आत्माओं  को  ले  जाते , ढोते    बहुत  थक  गए  l   युगों  से  यह  कार्य  कर  रहे  थे ,  किसी  भी  दिन  कोई  छुट्टी  नहीं  l    उन्होंने   महाराज  से   कुछ  दिनों  की  छुट्टी  माँगी  l   महाराज  ने  पहले  तो  मना  किया  ,  लेकिन  पहली  बार  छुट्टी  मांगी  , तो  देनी  पड़ी  l   अब  महाराज  ने  सोचा  कि   थोड़े  दिनों  की  ही  तो  बात  है   क्यों  न  मृत्यु  का  ठेका  कुछ  मनुष्यों  को  सौंप  दिया  जाये   l   बहुत  सोच - विचार  के   यह  ठेका    उन  लोगों  को  सौंप  दिया  जो  संपन्न  थे , उम्मीद  थी  कि   किसी  लालच  में  नहीं  आएंगे  l   लेकिन  मनुष्य  के  लालच  और  तृष्णा  का  कोई  अंत  नहीं  l   ठेका  मिलते  ही  उन्होंने  मृत्यु  को  भी  व्यापार   बना  दिया   और  उनकी  तथा  उनके  आधीन  काम  करने  वालों  की  सम्पति  दिन  दूनी   रात  चौगुनी  बढ़  गई  l    इतने  लोग  मरने  लगे  कि   संसार  में  हाहाकार  मच  गया  l   न  केवल  संसार  में   बल्कि  ऊपर  ब्रह्माण्ड  में  भी  हाहाकार  मच  गया  l  यमराज   जब   आत्माओं  को  ले  जाते  थे   तो  न्याय  होता  था  ,  कर्म  के  अनुसार  स्वर्ग , नरक  मिलता  था   लेकिन  यमराज  के  छुट्टी  लेने  से  आसुरी  शक्तियां  क्रियाशील  हो  गईं  l   अनेक  अच्छी   और  बुद्धिमान  आत्माओं  को    असुरों  ने    अपने  कब्जे  में  कर  लिया   और  उन्हें  पीड़ित कर , जबरन  दबाव  बनाकर  उनकी  बुद्धि  का  उपयोग  कर  के   संसार  में  असुरता  का  तांडव  मचा  दिया  l   गेहूं  के  साथ  घुन  भी  पिसता   है  ,  संसार  में  अच्छे - बुरे   सब   अनेक  परेशानियों  में  घिर  गए  ,  बहुत  परेशान   हुए  l   सबकी  प्रार्थनाओं  से    शेषनाग  पर  शयन  कर  रहे  भगवान  भी  जाग  गए  l   उन्होंने  अपने  सुदर्शन  चक्र  को  भेजकर   श्रेष्ठ  आत्माओं  को  असुरता  के  चंगुल  से  मुक्त  कराया  l   जब  भी  संसार  में  असुरता  , अन्याय  और  अत्याचार   बढ़   जाता है    तब  ईश्वर   युग  के  अनुरूप  अपने  प्रयास  से  असुरता  का  अंत  करते  हैं  l 

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