श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान अर्जुन को अपनी विशिष्ट विभूतियों के बारे में बताते हैं l---- मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को भगवान शस्त्र धारण करने वालों में अपना स्वरुप बताते हैं l भगवान कहते हैं ----- श्रीराम अति विनम्र , शिष्ट , मर्यादापूर्ण हैं l वे क्रोधित भी नहीं होते l उनके मन में न तो किसी के लिए हिंसा है , न ईर्ष्या , न किसी से शत्रुता , न प्रतिस्पर्धा l वे न तो किसी को दुःख देना चाहते हैं और न पीड़ा पहुँचाना चाहते हैं l विध्वंसकारी शस्त्र भी यदि श्रीराम के हाथ में होंगे , तो वे सृजन का ही माध्यम बनेंगे l इसलिए श्रीराम शस्त्रधारी होने पर भी मर्यादा पुरुषोत्तम हैं , भगवान हैं l वे अतुलनीय हैं , मर्यादा व लोकहित के शिखर हैं l शस्त्र यदि रावण के हाथ में होंगे तो विनाश तय है क्योंकि उसके भी तर सिवाय दुर्गुणों के , लोभ , लालच , कामुकता , हिंसा के सिवाय और कुछ नहीं है l वह अपने शस्त्रों का जब भी प्रयोग करेगा , गलत ही करेगा l उसके द्वारा विनाश के सिवाय अन्य कुछ भी संभव नहीं है l गीता का शिक्षण हर युग के लिए है l आज संसार में आसुरी शक्तियां इतनी प्रबल होती जा रही हैं l हमें विवेकवान होने की जरुरत हैं , हम देखें कि हमारी योग्यता का लाभ कौन उठा रहा है , हम किसे शक्तिशाली बना रहे हैं -- राम को या रावण को ? यदि हमें तत्काल लाभ चाहिए तो निश्चित है कि हम असुरता का चयन करेंगे , फिर उसका परिणाम चाहे जो हो l ईश्वर ने हमें चयन की स्वतंत्रता दी है l सही मार्ग का चयन करने के लिए हम ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें l
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