रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे कि दक्षिणेश्वर मंदिर के कुत्ते , बिल्ली भी धन्य हैं l देखो ! वह माता का प्रसाद खा रहे हैं l गंगादर्शन कर उसका जल पी रहे हैं l उद्दान मंदिर में एक कुत्ता था , जिसे ठाकुर कप्तान कहकर पुकारते थे l कप्तान अक्सर काली माँ के मंदिर के सामने सबसे ऊँची सीढ़ी के तल पर बैठता था l ठाकुर के बुलाते ही वह उनके चरणों में आकर लोटने लगता l तब ठाकुर उसे पूड़ी व संदेश देते थे l वे कहते थे ---- " इतने कुत्ते हैं , पर कप्तान को छोड़कर कोई भी काली माँ के सामने नहीं बैठता l किसी शाप के कारण ही कुत्ते की योनि में जन्म हुआ l पूर्व जन्म में कुछ अच्छा संस्कार भी रहा होगा , तभी तो वह यहाँ है l अब इस जन्म में मुक्त हो जायेगा l बड़ी धन्य आत्मा है l "
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