17 December 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  कहते  हैं ---- ' जो  आदमी  अहंकार  के  साथ  जीता  है  वह  हमेशा  चिंतित  रहता  है  l   उसे  हमेशा  परेशानी  बनी   रहेगी   कि   कौन  क्या  कर  रहा  है ?  कौन  क्या  कह  रहा  है  ?  अहंकार  हमेशा  औरों  पर  निर्भर  होता  है  l  प्रशंसा  अहंकार  को  फुसलाती  है , प्रसन्न  करती  है  l   मूढ़  - से - मूढ़  आदमी  को   बुद्धिमान  कहो   तो  वह  प्रसन्न  हो  उठता  है   l   अहंकार  को  पोषण  देने  वाला  ही  उसे  प्रिय  होता  है   और  इसे  चोट  देने  वाला   उसे  अप्रिय  होता  है   l   अहंकार  का  तात्पर्य  है --- मैं   l   जहाँ  मैं   यानी   कि   अपने  होने  की  प्रबलता  और  दृढ़ता  है  ,  वहीँ  अहंकार  है   l   अहंकार  से  विवेक   का नाश  होता  है   और  इसी  का  परिणाम  होता  है  कि   अहंकारी  व्यक्ति  की  सम्यक  जीवन  दृष्टि  समाप्त  हो  जाती  है   और  कभी - कभी  तो  वो   स्वयं  को  ही  परमात्मा  मान  बैठता  है   l 

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