रामायण और महाभारत हमारे महाकाव्य हमें जीवन जीना सिखाते हैं l लेकिन सीखता व्यक्ति वही है जैसे उसके संस्कार होते हैं l रामायण से भगवान राम के आदर्श से व्यक्ति यदि कुछ सीखना चाहे तो धरती पर सुख - शांति आ जाये लेकिन भगवान की आरती - पूजा कर के मनुष्य अपना कर्तव्य पूरा कर लेता है l रावण से भी कोई उसकी अच्छाई नहीं सीखता , उसके जैसा विद्वान् नहीं है लेकिन उसकी असुरता का चारों और बोलबाला है l महाभारत से भी यदि कोई शिक्षा लेना चाहे तो किसी का हक न छीने l दुर्योधन को समझाने स्वयं भगवान कृष्ण गए लेकिन उसे इतना लालच , इतना अहंकार कि पांच गाँव तो क्या सुई की नोक बराबर भूमि भी देने को राजी नहीं हुआ , परिणाम महाभारत होना ही था l महाभारत की कथा राजवंश की भाई - भाई के बीच राज्य के अधिकार की लड़ाई है l दुर्योधन ने पांडवों का हक छीना l युधिष्ठिर की तरह कोई धर्म के मार्ग पर नहीं चलता लेकिन दुर्योधन की तरह हर शक्तिशाली कमजोर का हक छीनता है , केवल व्यक्ति अपना सुख चाहता है , दूसरों को चैन से जीने नहीं देता l आज सबसे ज्यादा जरुरी है कि मनुष्य की चेतना जाग्रत हो l वह इस सच को समझे कि गलत कार्यों का परिणाम भी गलत ही होता है l
No comments:
Post a Comment