महापंडित राहुल सांकृत्यायन ईश्वर और धर्म में विश्वास नहीं करते थे l उन्होंने काशी की संस्कृत पाठशाला में शिक्षा प्राप्त की थी l देश - विदेश भ्रमण करने के पश्चात् वे अस्सीघाट स्थित अपनी पुरानी पाठशाला में अपने बचपन के एक नेत्रहीन मित्र से मिलने पहुंचे l मित्र ने उनसे पूछा ---- " दुनिया घूम आए , कोई नई बात बताओ l " राहुल सांकृत्यायन बोले ---- " नई बात यह है कि विज्ञान ने ईश्वर को मार डाला है l " उनके मित्र उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले ----- " मेरा अनुभव भी सुनो l असमय मेरी आँख चली गईं और मैं बिना आँखों के काशी जैसे नगर में आया l सोचता था कि मुझ जैसे नेत्रहीन व्यक्ति का गुजारा इतने बड़े नगर में कैसे होगा l परन्तु एक रात मैंने आँखें न होते हुए भी देखा कि एक धनुर्धारी युवक मेरे कमरे में खड़ा है और मुझे निश्चिंत होने को कह रहा है l वो मेरे इष्टदेव श्रीराम थे l अब तुम मेरे इष्टदेव को नकारने का साहस न करना l " ऐसा कहते हुए उनके मित्र रो पड़े l राहुल सांकृत्यायन की आँखें भी सजल हो उठीं और वे बोले ---- " नहीं मित्र ! अब मैं तुम्हारी आस्था को कभी ठेस नहीं पहुंचाऊंगा l "
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