आतंकवादी मानसिकता कैसी होती है इसे एक पौराणिक आख्यान द्वारा समझा जा सकता है ----- घटना महाभारत युद्ध के समय की है l द्रोणपुत्र अश्वत्थामा ने अपने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भस्थ पुत्र को मार डाला l इस अमानवीय कृत्य से सभी चीत्कार उठे l द्रोपदी ने इसका बदला लेने के लिए अति बलवान भीम से निवेदन किया और अश्वत्थामा को उचित दंड देने को कहा , परन्तु परम नीतिज्ञ भगवान कृष्ण ने भीम को अश्वत्थामा के पास जाने से रोका और कहा कि इस समय अश्वत्थामा राक्षस बन गया है l वह अपनी सभी मर्यादाओं और नीतियों को भूलकर दानव की साक्षात् मूर्ति बन गया है l वह भीम को भी मार सकता है क्योंकि इस मन: स्थिति में उससे दया और क्षमा की उम्मीद नहीं की जा सकती है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ठीक यही मानसिकता आतंकवादियों की होती है l उनके सामने मानवता की करुण चीत्कार कोई मायने नहीं रखती l आतंकवादी राक्षस एवं दैत्य के समान होते हैं , जिनके अंदर का दिल पथरा गया होता है l इनकी संवेदना शुष्क हो जाती है और इस शुष्कता में क्रूरता का जन्म होता है l इनसे किसी प्रकार के रहम और दया की आशा नहीं की जा सकती है l
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