पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है ---- ' प्रत्येक जीवधारी का पूर्ण आयु प्राप्त करना , दीर्घजीवी होना उसकी श्वास क्रिया पर आश्रित होता है l ईश्वर एक नियत संख्या में प्रत्येक प्राणी को श्वास प्रदान करता है और उस श्वास के समाप्त होने पर ही प्राणांत होता है l ईश्वर के द्वारा प्रदत्त इस खजाने को जो प्राणी जितनी होशियारी से खर्च करेगा , वह उतने ही अधिक काल तक जीवित रहेगा और जो इसे जितना व्यर्थ खोएगा , उतनी ही शीघ्र उसकी मृत्यु हो जाएगी l ' आचार्य श्री लिखते हैं --- ------ ' सामान्यत: हर एक मनुष्य दिन - रात में 21600 श्वास लेता है l इससे कम श्वास लेने वाला दीर्घजीवी होता है l क्योंकि अपने धन का जितना कम व्यय होगा , उतने ही अधिक काल तक वह संचित रहेगा l विश्व के समस्त प्राणियों में जो जीव जितनी कम श्वास लेता है , वह उतने ही अधिक काल तक जीवित रहता है l खरगोश एक मिनट में 38 बार श्वास लेता है , वह केवल 8 वर्ष की आयु प्राप्त करता है जबकि 19 बार प्रति मिनट श्वास लेने वाला घोड़ा 35 वर्ष की पूर्णायु को प्राप्त करता है l कछुआ प्रति मिनट 5 बार श्वास लेता है इसलिए उसकी आयु अन्य प्राणियों की तुलना में बहुत अधिक होती है l ' आचार्य श्री लिखते हैं --- विषयी और लम्पट मनुष्य प्रति मिनट बहुत श्वास लेते हैं इसलिए उनकी आयु जल्दी घट जाती है और प्राणायाम करने वाले योगाभ्यासी दीर्घकाल तक जीवित रहते हैं l आचार्य श्री कहते हैं निष्क्रिय रहने से अन्य अंग निर्बल और अशक्त हो जाते हैं तदनुसार उनकी श्वास का वेग बहुत बढ़ जायेगा इसलिए पर्याप्त और नियमित श्रम अति आवश्यक है l आचार्य श्री लिखते हैं --- 'श्वास सदा पूरी व गहरी लेनी चाहिए तथा झुककर कभी नहीं बैठना चाहिए l नाभि तक पूरी श्वास लेने पर एक प्रकार से कुम्भक हो जाता है और श्वासों का खर्च कम हो जाता है l
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