8 December 2020

WISDOM -------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है  ---- ' अपने  आप  को  तुच्छ ,  हीन ,  हेय   मान  बैठना   व्यक्तित्व  की  सबसे  बड़ी  कमजोरी  है   l   यह  मानसिक   ग्रंथि   किसी  भी  सुयोग्य , सुशिक्षित ,  धनी ,  सुखी  ,  संपन्न   को  दयनीय   और  पिछड़ेपन  की   स्थिति  में  ले  जा  कर    पटक  सकती  है   l '                                                जो  देश  और  जो  लोग  युगों  तक  गुलाम  रहे  ,  उनकी  मानसिक  स्थिति  कुछ  ऐसी  ही  हो   जाती   है  कि   आजाद  होने  के  बाद  भी   मानसिक  गुलामी  और  आत्महीनता  की  ग्रंथि  से  ग्रस्त  होने  के  कारण   दूसरों  के  पिछलग्गू   बन  कर  जीवन  जीते  हैं   l   पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  लिखते  हैं  --- ' इस  स्थिति  से  त्राण   पाना  तभी  संभव  है    जब  वह   दृढ़   निश्चय  करे  कि   वह  संसार  का  श्रेष्ठ  प्राणी  है   l   चिंतन  की  दिशाधारा  विधेयात्मक  हो   और  आत्मबल  बढ़ाया  जाये  l  '    सुविख्यात  रुसी  लेखक    गोर्की  ने   अपने  देश  के  किसानों  को   संबोधित   करते  हुए  कहा  था  ---- " याद   रखो  कि   तुम   पृथ्वी  के   सबसे  श्रेष्ठ  और   आवश्यक  प्राणी  हो   l   कोई  कारण  नहीं   कि   कोई  व्यक्ति    अपने  को  अनावश्यक  तुच्छ   अथवा  हीन   समझे   l   यदि  वही  अपना  मूल्य  न  समझेगा    तो  दूसरे  उसे   किस  प्रकार  आवश्यक  मानेंगे  l  "  

No comments:

Post a Comment