9 December 2020

WISDOM -----

 ' दुःख  में  सुमिरन  सब  करें , सुख  में  करे  न  कोय   l   जो  सुख  में  सुमिरन  करे  ,  दुःख  काहे   को  होय  l    श्रीमद् भगवद्गीता   की  शिक्षाएं  हमें  जीवन  जीना  सिखाती  हैं  l   गीता  में  भगवान  कहते  हैं  ---- 'शुभ  और  अशुभ  दोनों  ही  फल   मनुष्य  के  लिए  बाधक  हैं  l  शुभ  कर्मों  का  फल  भोगते - भोगते  मनुष्य  को  कर्तापन  का  अभिमान  हो  जाता  है  l   जब  मनुष्य  का  समय  अच्छा  होता  है  तब  हर  तरफ  उसकी  जय - जयकार  होती  है   इस  कारण  उसका  अहंकार  और  ऐश्वर्य  सिर   चढ़कर  बोलने  लगता  है  l   लेकिन  जब  अशुभ  फल  पैदा  होता  है , बुरा  वक्त  आता  है    तब  हर  जगह  विपदा  ही  विपदा  नजर  आती  है  , अपमान  और  षड्यंत्रों  की  श्रंखला  शुरू  हो  जाती  है  l   इसलिए  गीता  में  भगवान    हमें  समझाते   हैं  और  कहते  हैं  --- शुभ  के  क्षणों  में  अशुभ   के  लिए  तैयार  रहना  चाहिए   l   सुख  के  क्षणों  को  योगमय  बना  लो   l   सबको  साझीदार  बना  कर  पुण्य  बांटो   l  शुभ  कर्म  करो  l   शुभ  कर्म  का  मतलब  केवल  कर्मकांड  करना  नहीं  है  l   शुभ  कर्म  अर्थात  परमार्थ  करना  l   दूसरों  को  ऊँचा  उठाने  के  लिए ,  उनकी  पीड़ा  दूर  करने  के  लिए   कार्य  करना  l   सुख  में  कभी  अहंकार  न  करे  l    जब   जीवन  में  दुःख  आये   तो  विचलित  न  हो   क्योंकि   परमात्मा  सबकी  परीक्षा  दुःखों   के  माध्यम  से  लेता  है   l   दुःख  को  तप  बना  ले  l 

No comments:

Post a Comment