' आधी छोड़ सारी को धावे , आधी मिले न सारी पावे ' l मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है l लेकिन लोभ , मोह , कामना , तृष्णा ये सब मानसिक कमजोरियां उसे दुर्बुद्धिग्रस्त कर देती हैं l एक कथा है ----- एक बार की बात है लोगों का बहुत बड़ा समुदाय व्याकुल होकर ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि हमारी रक्षा करो l सामूहिक प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है l विधाता ने पूछा कि -- अनंत सुख सुविधाओं के होते हुए भी अब क्या दुःख है ? लोगों ने कहा ---- दुःख यही है कि विभिन्न बीमारियों ने घेर रखा है , उन सुखों का उपभोग ही नहीं कर पा रहे हैं , तनाव है , आनंद नहीं है l मनुष्य में विकृतियां बढ़ती जा रही हैं l ' विधाता ने समझाया ----' इस विशाल धरती के हर भू भाग की अपनी विशेषताएं हैं l जिस भूभाग में तुम ने जन्म लिया है उसी प्रकृति के अनुरूप भोजन , फल , चिकित्सा आदि लेने से ही स्वस्थ रहा जा सकता है l अपने विवेक को जाग्रत करो l प्रकृति में सब कुछ पवित्र है , मनुष्य ने अपने विकारों के कारण प्रकृति में असंतुलन पैदा कर दिया l '
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