जीवन में सफलता के लिए लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित होना जरुरी है l महाभारत और रामचरितमानस के अनेक प्रसंग जो हमें शिक्षण देते हैं कि हमें अपने लक्ष्य से नहीं भटकना चाहिए l रामचरितमानस में प्रसंग है ---- जब श्री हनुमानजी सीता जी की खोज में लंका जा रहे थे तब उनका सामना सुरसा नाम की राक्षसी से हुआ l उन्हें खाने के लिए उस राक्षसी ने अपना मुंह बहुत बड़ा कर खोला तो हनुमान जी ने भी अपने रूप को बड़ा कर लिया और फिर छोटे बनकर उसके मुँह में प्रवेश कर बाहर निकल आए l इस आचरण से उन्होंने यह बताया कि जीवन में किसी से बड़े बनकर जीता नहीं जा सकता l लघुरूप होने का अर्थ है नम्रता , जो सदैव विजय दिलाती है l हनुमान जी चाहते तो सुरसा से युद्ध कर सकते थे , उसे पराजित कर सकते थे l लेकिन उन्होंने विचार किया कि मेरा लक्ष्य इससे युद्ध करना नहीं है क्योंकि ऐसा करने से समय और ऊर्जा दोनों नष्ट होंगे , इस समय लक्ष्य है --सीता माता की खोज और अभी इस पर ध्यान देने की अधिक जरुरत है l अधिकांश लोग अपनी जिंदगी में अपने लक्ष्य को भूल जाते हैं और लड़ने - भिड़ने में लग जाते हैं l पं. श्री राम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- अपने अहंकार के कारण स्वयं को श्रेष्ठ और बड़ा सिद्ध करने में मनुष्य अपने लक्ष्य से तो भटकता ही है , साथ ही दूसरों की नजरों में भी बड़ा नहीं बन पाता , क्योंकि बड़े वे होते हैं , जो लोगों के दिलों जीतते हैं , लोगों के दिलों पर राज करते हैं l '
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