विश्व विजय का स्वप्न देखने वाले सिकंदर को मृत्यु के समय जीवन की एक - एक स्मृति मस्तकपटल पर आने लगी l उसे उन दो लड़कियों की स्मृति आ गई , जिनने उसे नैतिक दृष्टि से पराजित कर दिया था l भारत के उत्तर - पश्चिम प्रान्त के एक गाँव के पास उसकी सेनाओं ने डेरा डाला था l गाँव में उत्सव था l ग्रामीण युवक - युवतियों के मोहक नृत्य को देखकर सिकंदर अपनी सुध -बुध खो बैठा l उसने वहीँ भोजन मँगा लिया l दो सुन्दर ग्रामीण युवतियां एक थाली को कीमती चादर से ढक कर लाईं l चादर हटाते ही सिकंदर क्रुद्ध हो उठा l उस थाली में सोने - चांदी के आभूषण थे l युवतियों ने कहा --- " नाराज न हों सम्राट ! हमने सुना है आप इसी के लिए भूखें हैं l इसी के लिए आप हजारों - लाखों को मारकर इतनी दूर से हमारे बीच आए हैं l हमें हमारी जान की चिंता नहीं है l आप यह भोजन स्वीकार करें एवं हमारा सिर काट लें l " कहते हैं इसके बाद सिकंदर विक्षिप्त हो उठा और वापस लौट गया l
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