16 February 2021

WISDOM -----

  महाभारत  में  ' विदुर  नीति  '  में  एक  श्लोक  है  जिसका  भावार्थ  है ---- महात्मा  विदुर  धृतराष्ट्र   से  कहते   हैं --- " हे  राजन  !  इस  संसार  में  दूसरों  को   निरंतर  प्रसन्न  करने  के  लिए   प्रिय  बोलने  वाले   प्रशंसक  लोग  बहुत  हैं  ,  परन्तु  सुनने  में  अप्रिय  लगे   और  वह  कल्याण  करने  वाला  वचन  हो  ,  उसका  कहने  और  सुनने  वाला  पुरुष  दुर्लभ  है   l  "   महर्षि  दयानन्द   ऐसे  विरले  मनुष्य  थे  ,  वे  राजाओं -महाराजाओं  के  सामने , बड़े  अंग्रेज   अफसरों  की  उपस्थिति   में  निर्भीक  होकर   सबके  हित   की  सत्य  बात  कहा  करते  थे   l   स्वामीजी   मूर्ति  पूजा  के  विरोधी  थे  ,  वे  कहते  थे  ---- मेरा  काम   लोगों  के  मन - मंदिरों  से  मूर्तियां  निकलवाना  है  ,  ईंट  पत्थर  के  मंदिरों  को   तोड़ना  नहीं    l   महर्षि   दयानन्द  मानते  थे   कि   हमारा  नाम  आर्य  है  ,  हिन्दू  नहीं  l   आर्य  का  अर्थ  है  श्रेष्ठ  पुरुष  l  विदेशियों  ने  हमें  हिन्दू  नाम  दिया   l   उनके  द्वारा  रचित  ' सत्यार्थ  प्रकाश  '  सोई   हुई  जाति   के   स्वाभिमान  को  जगाने  वाला  अद्वितीय  ग्रन्थ  है   l 

No comments:

Post a Comment