8 March 2021

WISDOM ------ यदि भावनाएं परिष्कृत हों तो सेवा स्वयं साधना बन जाती है ----- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

      राजस्थान  के  प्रथम  मुख्यमंत्री   हीरालाल  शास्त्री   का  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   के  प्रति  विशेष   आदर भाव  था   l   उनसे  उनकी  कई  बार  मुलाकात   हुई  l   उनका  कहना  था  कि ---"  आचार्य जी  से  मिलने  से  मुझे   एक  अंतर्दृष्टि   मिली  ,  जिसने  मुझे    सेवा  में   योग - साधना  के  दर्शन  कराए  l "     हीरालाल   शास्त्री  की  बेटी  शांताबाई  की   कम  आयु   में   मृत्यु  ने    उन्हें  गहरी  भावनात्मक  चोट  पहुंचाई  ,  लेकिन  उन्होंने  इस  भावनात्मक  चोट  को   बड़ी  सकारात्मक  सोच  के  साथ  लिया  l   उन्होंने   और  उनकी  पत्नी  ने  सोचा  कि   अपनी  बेटी  न  सही  ,  पर  हर  बेटी   भी तो   अपनी  ही  बेटी  है   l   इस  भावना  के  साथ   उनके  जो  प्रयास  हुए   ,  उसी  से    जयपुर  से   45   मील   की  दूरी   पर  ' वनस्थली  विद्यापीठ  '  की  स्थापना   संभव  हो  सकी   l   जब  इसकी  स्थापना  हुई  तब  इस  संस्था  के  पास   न  तो  कोई  अपनी  भूमि  थी  ,  न  भवन   और   न  ही  रुपया -पैसा  l   बस , थी   तो   केवल  हीरालाल  शास्त्री   और  उनकी  पत्नी   के  मन  की  करुणा ,  प्रेम  और  उन  दोनों   की  अटूट  संकल्प  शक्ति  के  साथ   सेवा  के  प्रति  सच्ची  लगन   l    उसे  देखकर  महात्मा  गाँधी  ने  कहा  ---- " वनस्थली  मेरे  दिल  में  बसा  हुआ  है  l  "     पं. नेहरू   तो  इससे  इतने  प्रभावित  थे   कि   उन्होंने   1945   में   यह   कहा  ----- "   अगर  मैं  लड़की  होता  ,  तो  अपनी  शिक्षा  के  लिए  वनस्थली   को  चुनता   l  "

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