एक बार की बात है सब बीमारियों में बहुत लड़ाई हुई , प्रत्येक बीमारी अपने आपको बड़ा कह रही थी और अपना महत्व बता रही थी कि वो जिसके लग जाये उसका क्या हाल हो जाता है l आपसे के भेदभाव , ऊंच - नीच के कारण वे सभी परेशान थीं l अपनी समस्या के समाधान के लिए वे पहाड़ के पास गईं l पहाड़ ( पर्वत ) पहाड़ उनकी समस्या सुनकर हँसने लगा l उसने कहा --- ' तुम मूर्ख हो l मनुष्य इसी भेदभाव और ऊंच - नीच के दुर्गुण से आपस में लड़कर अपनी ऊर्जा गँवा देता है , इस कारण तुम मनुष्य पर हावी होकर , उनको चूसकर अपना भोजन प्राप्त करती हो और चतुर लोग तुम्हारे माध्यम से अपना खजाना भरते हैं l अब यदि तुम आपस में लड़ोगी तो कमजोर हो जाओगी , और मनुष्य यदि जागरूक हो गया और मेरे पास छाई इस हरियाली के संरक्षण में आ गया तो तुम्हे कहीं ठिकाना नहीं मिलेगा l " यह सुनकर बीमारियों को बात तो समझ में आ गई वे बोलीं --- लेकिन हम क्या करें , किसी का ऊँचा नाम और महत्व देखकर हमें ईर्ष्या होती है , इस ईर्ष्या को कैसे दूर करें ? ' पहाड़ ने बहुत सोच - विचार कर कहा --- ' समस्या का मूल कारण नाम और उपनाम है l अब तुम सब एक ही नाम से मनुष्य पर लग जाओ l मनुष्य अपनी गलत आदतों से अपनी प्रतिरोधक शक्ति गँवा देता है और अनजाने ही तुम्हे आमंत्रित करता है इसलिए आपस में लड़कर अपने अस्तित्व को मत मिटाओ l '
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