संसार का इतिहास युद्धों का इतिहास है l युद्ध के हथियार बदलते गए लेकिन परिणाम होता है --- जन - धन की हानि l इसलिए जब भी विशाल पैमाने पर जन - धन की हानि हो तो वह युद्ध का ही एक रूप है l वर्तमान स्थिति में सभी देश इस महामारी से ग्रस्त हैं तो यह एक प्रकार का विश्व युद्ध है l यह युद्ध छद्म युद्ध है , इसमें न तो वार करने वाला दिखाई देता है और न ही कोई हथियार दिखाई देता है l बस ! मनुष्य भयग्रस्त होकर इधर से उधर भाग रहा है l पहले युद्ध होने पर ' ब्लैक आउट ' होता था , सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था , लोग बम के भय से घरों में दुबके रहते थे l ठीक वही स्थिति आज भी है l भयभीत होना एक प्रकार की मृत्यु ही है l भयग्रस्त व्यक्ति की चेतना मूर्छित हो जाती है और वह सही निर्णय नहीं ले पाता , अपने जीवन को बचाने की चाह में वह मृत्यु को आमंत्रित कर लेता है l भय के कारण जब सोचने - समझने की शक्ति नहीं रहती तब वह ' भेड़ - चाल ' चलता है और अपने हाथों अपना अहित करता है l' भय ' भी एक प्रकार का हथियार है --- मनुष्य अपनी बुद्धि का दुरूपयोग करता है तब अपने लालच , स्वार्थ और अहंकार के कारण वह रावण की तरह भय का कारोबार करता है l रावण का भय दसों दिशाओं में व्याप्त था l यह मानव जाति का दुर्भाग्य है कि हमने रावण की बुराइयों को अपना लिया और उसके गुणों को नहीं अपनाया l ऐसा कर के मनुष्य ने अपने ही अस्तित्व पर संकट उपस्थित कर लिया l
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