आयुर्वेद में वर्णन आता है ----- संसार के प्राणी रोगों से दुखी होकर हिमालय पहुंचे ल सभी ऋषि , महर्षि उनके साथ थे l देवराज इंद्र ने सभी का स्वागत किया और उनकी चिंता का समाधान करते हुए कहा कि --- ब्रह्मा ने सबसे पहले प्रजापति को आयुर्वेद का ज्ञान दिया l फिर प्रजापति ने अश्विनी कुमारों को और उन दोनों ने मुझे जन कल्याण हेतु आयुर्वेद का उपदेश दिया l इसके बाद इंद्र ने असंख्य दिव्य औषधियों की जानकारी दी एवं स्वयं चलकर सभी को दिखाया l इंद्र ने कहा ---- " इन औषधियों से मनुष्य तरुण रहेगा , शरीर वर्ण सुंदर होगा , बल की वृद्धि होकर सभी आकांक्षाएं पूर्ण होगीं l हमारा आयुर्वेद रत्नों की खान है l इंडोनेशिया में एक मान्यता है कि आयुर्वेद के सभी ग्रंथों के रचयिता श्री गणेश जी हैं l वहां प्रचलित धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार भगवान शिव बीमार पड़े तो उन्होंने नवग्रहों को बुलाकर अपनी चिकित्सा करने को कहा , किन्तु वे सभी असफल रहे l तब उनने संसार की सभी जड़ी बूटियों को बुलाया और कहा कि तुम अपने - अपने गुणों का बखान करो l जब यह क्रम चल रहा था तब गणेश जी इसे लिपिबद्ध कर रहे थे l यही विवरण ' प्रमानतरु ' नामक एक विशाल ग्रन्थ बन गया l इंडोनेशिया के सभी वैद्य इस पुस्तक को अपने पास रखते हैं एवं जड़ी - बूटियों से इलाज करते हैं l आयुर्वेद इंडोनेशिया में सर्वाधिक प्रचलित चिकित्सा पद्धति है l
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