6 September 2021

WISDOM ------

   मरते  समय  मनुष्य  को  जिस  पीड़ा  का  अनुभव  होता  है  ,  वह  पीड़ा  मरने  की  नहीं  ,  बल्कि  चले  गए  जीवन  की  होती  है   l   कबीर  दास जी  ने  कहा  है  ----  कहत  कबीर  अंत  की  बारी  l   हाथ  झारि   जस   चलै  जुआरी   l l   कबीर  दास  जी  कहते  हैं  ---- अंत  में  मृत्यु  के  समय    ऐसे  जाना  पड़ता  है  ,  जैसे  जुआरी  को  अपने  खेल  के  अंत  में   अपना  सब  कुछ  गँवा  कर  लौटना  पड़ता  है   l   जुए  में   जो  जीतता  है  वह  भी  हारता  है    और  जो  हारता  है    वह  तो  हारता  ही  है   l   यह  छल  है  क्योंकि   हारने   वाला   यह  सोचता  है  कि   अभी  हार  गए  तो  कोई  बात  नहीं  ,  अगली  बार  जीत  निश्चित  है  ,  एक  बार  और  भाग्य  आजमा  लूँ   l   ठीक  यही  बात  जीतने  वाला  सोचता  है  ,  अभी  एक  बार  और   ,    अपनी  जीत  तो  पक्की  है   l   इस  एक  बार  का  सिलसिला  तब  तक  चलता  है  ,  जब  तक  कि   सब  कुछ  गँवा  नहीं  दिया  जाता l   जीवन  भी  ऐसा  ही  है   l   हम  सारा  जीवन  कुछ  पाने  के  लिए  भागते  रहते  हैं  ,  जो  कुछ  पाया  भी  वह  भी  अंत  में  छूट  जाता  है  ,    खाली  हाथ  चले  जाते  हैं   l 

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